क्या सचमुच में युद्ध और क्रिकेट में कोई अंतर नहीं है ??
मंगलवार, 5 अप्रैल 2011
आम तौर पर लोग मेरे बारे में कहते हैं की मैं एक नीरस और बोर किस्म का प्राणी हूँ क्योंकि मैं क्रिकेट, राजनीति, धर्म,सिनेमा और लड़कियों के बारे में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाता। टीवी पर पर विश्वकप का विज्ञापन देख रहा था की भारत के पूर्व काल में हुए सामरिक युद्धों को कडीबद्ध करते हुए उसके आगे अंत में दिखाया गया कि अगला युद्ध क्रिकेट का मैच है । किसी ने इस बात पर कोई ऐतराज नहीं करा जबकि देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी बैठ कर मैच देख रहे थे ।
अब विज्ञापन बनाने वाले उस उल्लू के पट्ठे से तो कोई पूछने से रहा कि कमीने तुझे खेल भावना और युद्ध की क्रूरता और भयावहता में कोई अंतर नहीं दिखता? क्या इतने बड़े देशों के राष्ट्र के नुमाइंदे भी ऐसी ही भावना लेकर बैठे थे? खेल भावना क्या होती है?? या फिर अब नीच मीडिया वाले हमारे देशप्रेम को इस तरह से कैश करायेंगे?
थू है ऐसी कमीनी सोच पर.......
जय जय भड़ास
1 टिप्पणियाँ:
रुपेश जी दिल की भडास! सही बात बोली आपने! :)
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