अंततः प्रवीण शाह और अमित जैन दोनो गधे नहीं बल्कि महागधे ही सिद्ध हुए - भाग छह
बुधवार, 27 अप्रैल 2011
अमित जैन से मैंने एक बार लिख कर बताया था कि तुम मूर्खों की तरह गलतियां करते हो जिसका लाभ अनूप मंडल के लोग तुम्हारी खाल खिंचाई के लिये उठाया करते हैं लेकिन क्या करें महागधों की खाल का तो कोई सामान भी नहीं बनता इसलिये वो बेकार चली जाती होगी। अब इतने दिन बाद मैं देख रहा हूं कि अमित जैन ने लिखना शुरू करा है कि भड़ासी जाहिल हैं तो इसमें कब इन्कार है?शोध का मतलब तुम कैसे समझोगे अमित तुम्हें तो ये भी नहीं पता कि जो फटहा सा क्लिप तुमने डाला है उसमें तुमने क्या गलती करी है?
मैंने तुम दोनो को गधा नहीं महागधा कहा है गधा तो भड़ासियों का प्रिय जानवर है जो तुम जैसों पर दुलत्तियां झाड़ने से नहीं चूकता। तुम किस तरह समझ पाओगे शोध प्रक्रिया को तुम हिंदी लिखने में तो पचासों गलती करते हो शोध तो एम.फ़िल. और पी.एच.डी. के स्तर की बात है अमित? जरा प्रवीण शाह से तो पूछ लो कि वो इस पर तुम्हारी तारीफ़ करेंगे या नहीं या मुंह में दही जमा कर बैठना सही समझेंगे?
तुमने डाला था जब तुम डाक्टर साहब से मुखातिब हो कि लिखते नहीं बन रहा है तो उसमें तुम्हारी जानकारियों की गहराई पता चल रही है।(अभी भी मौका दे रहा हूं कि अपनी गलती मान लो कि तुम गधे नहीं महागधे हो जो कि आमिर अजमल कसाब का नाम तक ठीक से नहीं जानते न ही तुम्हें अपने संविधान की जानकारी है जिस तरह से तुम तांत्रिक को उस मुल्जिम की सुपारी देने की बात कह कर अपराध कर रहे हो और मूर्ख की तरह उसे भड़ास के वैश्विक मंच पर अपलोड भी कर रहे हो)
प्रवीण शाह की सांस बंद है क्या बात है वो तुम्हें इस बेवकूफ़ियों की तरफ ध्यान नहीं दिलाते या बस अनूप मंडल की बातों पर ही गुलाटियां लगाते हैं बाकी समय "हाइबरनेट" हुए रहते हैं?उनसे कहो कि मुंबई ही नहीं उनकी पसंदीदा कथित साइंसदानों की ब्लागर मंडली अनूप मंडल के द्वारा डा.रूपेश श्रीवास्तव जी की माताजी के तंत्र-मंत्र के प्रयोग द्वारा कर दी जाने वाली हत्या के आरोप की जांच करने के लिये आगे आएं।
नीचे के बाल भेजने वाला प्रकाश गोविन्द तो अभी तक अपने नीचे के बाल ही नहीं उगा पाया कि प्रयोग के लिये भेज सके जब बाल उग आएंगे तो वो भेज देगा मुझे पूरी उम्मीद है
जय जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई
9 टिप्पणियाँ:
हा हा हा , अबे बेवकूफ पहले ये बता इस तस्वीर में आप क्या है ,
अगर तू खुद को गधा मानता है तो आप बिलकुल सही है और अगर आप दुल्लती खाया मानुस है तो वो भी सही है '
बलिहारी जाए तेरे हिंदी के वर्तनी जाचक पर ,
बड़ा शोध करने का कीड़ा है तुम्हारे अन्दर, तो करो न , अब तक तुमने शोध के नाम पर किया ही क्या है ,
और रही बात दही की तो ,तुम खुद ३-४ दिन सोच विचार कर के लिखते हो की अब
बन गया न मै सयाना
दुलत्ती जैसे ही पड़ी तो राक्षस बिलबिला कर बौखलाते हुए आ गया। इसे लगता है कि ये हमें विषय से हटा देगा लेकिन हम इसकी ये हरकतें हरगिज कामयाब न होनें देंगे। इसे लगता है कि ये मसखरों जैसी हरकतों से अवतार स्वरूप डा.रूपेश श्रीवास्तव जी की माताजी की तंत्र द्वारा अत्यंत क्रूरतापूर्वक कर दी गयी हत्या के मुद्दे से हम भटक कर इसकी बेवकूफ़ियों में उलझ जाएंगे तो ये सचमुच एक गर्दभराक्षस है।
जय जय भड़ास
जय नकलंक देव
अबे बावलो की पूछ अनूप मंडल तेरी तो सांसे ही बंद हो गई थी और इतने दिनों से तू कुछ ले कर सामने आ ही नहीं पा रहा था , गधा हित्कारनी के नमूने तुम बस अपनी पीपनी बजाते रहो , और कुछ बेवकूफों को नचाते रहो , इस से आगे तुम कुछ नहीं कर सकते ,
अरे दम है तो अपने शोध को यहाँ दिखाओ न की अपनी दुम खुजाओ
अब तक तो किसी ने न वो तस्वीर देखी , न तुम्हारा वो विडियो , बस तुम्हारा राग फटा बांस ही सुना है जो तुम और संजय कटेहुए गा रहे है , इन्हें सब के नीचे के बालों की बहुत जरुरत है , क्योकि इनके बाल अब तक नहीं उगे है
बहन मुनवर सुल्ताना की टिपण्णी उन्होंने खुद ही हटाई है या संजय कटेहुए साहब ने
गधेश्वर जी आप की बाकि तस्वीरे यहाँ पर है
http://www.supercoloring.com/pages/tag/donkey/
अमित भाई अपको बताना था कि संजय कटारनवरे अभी भड़ास के सदस्य नहीं हैं इसलिये वे किसी की टिप्पणी नहीं हटा सकते क्योंकि वे ई-मेल के जरिये से पोस्ट करते हैं इस कारण से आप देख सकते हैं कि हम जब पोस्ट करते हैं तो हमारा नाम लिखा आता है और संजय की पोस्ट के नीचे भड़ास लिखा रहता है जो कि bharhaas.bhadas@blogger.com पते पर भेजने से होता है लेकिन एक बात है कि ये हमे पता नहीं चल पाता कि ये मेल किसने भेजा है। मैं आपको ये बात इसलिये बता रहा हूं कि आप ये जान सकें कि मुनव्वर आपा ने अपनी टिप्पणी खुद ही हटाई है संजय तो उसे हटा ही नहीं सकते। अंत में एक बात और कि संजय चाहें भी तो अपनी पोस्ट में कोई संपादन नहीं कर सकते जबकि हम सारे सदस्य ऐसा कर सकते हैं।
जय जय भड़ास
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हा हा हा हा,
बस इससे ज्यादा की हकदार नहीं यह पोस्ट...
अनूप मंडल को लगता है कि हमने विमर्श को भटका दिया है तो जाकर दे आये न फिर महारानी एलिजाबेथ को एक और अर्जी, वैसे भी आज उनके पोते की शादी है...
मेरी पिछली पोस्ट में उठाये सवालों का जवाब कहाँ है दोस्तों...
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सही जा रहे हो बाबू....
तुमने तो इतनी कस कर ली है कि न जाने कब तक कल्लाएगी:)
अभी कितने भाग लिखोगे यार क्या इतना बस नहीं हुआ? प्रकाश गोविन्द जैसे चिरकुटहे बौद्धिक इतना साहस नहीं रखते कि भड़ास पर जवाब देने आ सकें उसके तो बाल और खाल वैसे ही उतर गए इतना रगेदा है उसे।
जय जय भड़ास
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