"कौन सी दो पोस्ट्स हैं जिनका आप जिक्र कर रहे हैं?"
सोमवार, 16 मई 2011
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आदरणीय डॉ० रूपेश श्रीवास्तव जी,
आप जब लिख रहे हैं कि "कौन सी दो पोस्ट्स हैं जिनका आप जिक्र कर रहे हैं?"... तब मैं अचंभित हो उठता हूँ कि यह किस तरह का स्मृतिलोप हो रहा है आपको... हुआ यह था कि ब्लॉगर की मेन्टेनेन्स के दौरान अचानक मैंने पाया कि मेरी भड़ास में लिखी सभी पोस्टों के नीचे प्रस्तुतकर्ता "शैतान" लिखा आ रहा था... मैंने तुरंत पोस्ट लगाई ' संचालक बतायें कि यह क्या हो रहा है अब '...
आप की बहुत ही उग्र प्रतिक्रिया आई थी उस पर... जिसमें मुझ को किसी यशवंत सिंह की तरह ही भड़ास के दर्शन से रगेड़ने की तक बात की गई थी... फिर उस प्रतिक्रिया को विस्तार देते हुऐ आपकी एक पोस्ट आई... अब आपके लिखे को देख लग रहा है कि आप इस पूरे मामले से अनजान हैं...
ऐसा कैसे हो रहा है, कुछ समझाइये मुझे भी...
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आदरणीय डॉ० रूपेश श्रीवास्तव जी,
आप जब लिख रहे हैं कि "कौन सी दो पोस्ट्स हैं जिनका आप जिक्र कर रहे हैं?"... तब मैं अचंभित हो उठता हूँ कि यह किस तरह का स्मृतिलोप हो रहा है आपको... हुआ यह था कि ब्लॉगर की मेन्टेनेन्स के दौरान अचानक मैंने पाया कि मेरी भड़ास में लिखी सभी पोस्टों के नीचे प्रस्तुतकर्ता "शैतान" लिखा आ रहा था... मैंने तुरंत पोस्ट लगाई ' संचालक बतायें कि यह क्या हो रहा है अब '...
आप की बहुत ही उग्र प्रतिक्रिया आई थी उस पर... जिसमें मुझ को किसी यशवंत सिंह की तरह ही भड़ास के दर्शन से रगेड़ने की तक बात की गई थी... फिर उस प्रतिक्रिया को विस्तार देते हुऐ आपकी एक पोस्ट आई... अब आपके लिखे को देख लग रहा है कि आप इस पूरे मामले से अनजान हैं...
ऐसा कैसे हो रहा है, कुछ समझाइये मुझे भी...
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2 टिप्पणियाँ:
प्रवीण शाह जी आप जानबूझ कर जो कर रहे हैं वह पूरी तरह समझता हूँ। स्मृतिलोप नहीं हुआ है तभी आपको बता पाता हूँ कि आप जो भी करते हैं हम यशवंत सिंह से निपटने के दौरान सीखने को मिला। मैंने आपको खुले दिल से बताया कि आप किस तरह शैतान बन चुके हैं मैंने इस बात का रहस्योद्घाटन आपको रुद्राक्षनाथ बन कर दिखा दिया था। आपको अचंभित करने के लिये मेरे पास मेरी ईमानदारी ही काफ़ी है ज्यादा अचंभे मत रहिये पकड़ में आने वाली गलतियाँ कर जाते हैं। मेरी प्रतिक्रिया सिर्फ़ प्रतिक्रिया होती है उसकी उग्रता या नरमी तो क्रिया पर निर्भर होती है।
समझ में आ रहा है या और समझाऊं वैसे मैं भड़ास के सदस्यों को समझानें में कभी पीछे नहीं हटता जैसे कि अमित जैन को भी समझाए जा रहा हूँ
जय जय भड़ास
ये समझ में नहीं आ रहा है कि ज्यादा मक्कार कौन है ये उर्दू वाला रेहान अंसारी या फिर अमित जैन और प्रवीण शाह?
जैसे अमित जैन को कई बार कहा कि तुम अपनी कथित तौर पर हटा दी गयी पोस्ट और अनूप मंडल के कमेंट के लिये गए स्क्रीन शॉट को दोबारा पोस्ट करे और अपनी बीवी के साथ वाली प्रोफ़ाइल तस्वीर भी भेजे लेकिन जब उसे खुद डा.रूपेश साहब ने कस कर खींचा तब जाकर उसने वह बात पोस्ट करी। तस्वीर अब तक नहीं दिखाई दुनिया को कि बीवी के साथ गलबहियाँ डाल कर पहले खुद फ़ोटो लगाएगा लेकिन जब पकड़ा जाए तो बीवी के अपमान का रोना रोने लगा और प्रवीण शाह ने भी उसके खूब आँसू पोंछे।
प्रवीण शाह डा.रूपेश तो लिख चुके हैं कि जो पोस्ट हटाने का आरोप तुम लगा रहे हो उन्हें पचासों बार क्यों नहीं पोस्ट करते। लज्जा आनी चाहिए जो कि डा.रूपेश जी पर स्मृतिलोप का आरोप लगा रहे हो लेकिन तुम ठहरे निरे बेशर्म....
जय जय भड़ास
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