ये बदनाम हुई मुन्नी कब से भड़ास पर आ गयी???
बुधवार, 18 मई 2011
प्रवीण शाह भाई जी एक आपकी ही दी हुई तारीख का स्क्रीन शॉट प्रस्तुत कर रही हूँ और सबसे ज्यादा मज़े की बात तो ये है कि मैं भड़ास की संचालक नहीं बल्कि आपकी ही तरह सामान्य लेखक सदस्य हूँ लेकिन अपने सामुदायिक ब्लॉग अर्धसत्य की मॉडरेटर हूँ जो कि एक कम्युनिटी ब्लॉग है जिसमें मेरे जैसे कई लैंगिक विकलाँग लिखा करते हैं। हम सब को कम्प्यूटर और ब्लॉगिंग भाईसाहब डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी ने ही सिखाया है।
अपनी राय दीजिये कि ये चमत्कार कैसे हो गया ये बदनाम हुई मुन्नी कब से भड़ास पर आ गयी???
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
दीदी असल बात तो ये है कि प्रवीण शाह जी अपनी कोशिश में लगे हुए हैं कि किसी तरह से अपने इन खेलों से संचालकों को उकसा सकें ताकि हम संयम खो दें। इनके इस तरह के प्रयास हम लोगों के लिये नए नहीं हैं ऐसे तो न जाने कितने लोग भड़ास में मुखौटा लगा कर घुस गए लेकिन उन्हें अंततः भड़ास का दर्शन आत्मसात न हो पाने पर खुद ही भाग जाना पड़ता है संजय सेन से लेकर कशिश गोस्वामी तक न जाने कितने उदाहरण आप सबके सामने हैं। प्रवीण शाह जी अगर अभी भी भड़ास के संचालकों की सोच पर अनूप मंडल का कब्जा स्वीकारते हैं तो इनकी तार्किक बुद्धि की बलिहारी है। इनकी कितनी हरकते भड़ास पर उधेड़ी जा चुकी हैं लेकिन बेचारे लगे हुए हैं किसी तरह से खुद को ईमानदार सिद्ध करने में।
आपने आज तो कमाल कर दिखाया इस स्क्रीन शाट में, ये सब तो मैंने आपको नहीं सिखाया था। आपने तो बिना गाली दिये ही प्रवीण शाह जी को उनके (अ)सत्य का एहसास करा दिया।
आपने सिद्ध कर दिया कि भड़ास अमर है।
जय जय भड़ास
आदरणीय दीदी,ये आपने बहुत कस कर जूता मारा है इस कपटी के छिपे हुए मुंह पर। अनूप मंडल आपका आभारी है कि आप सत्य के पक्ष में रह कर मक्कारी भरे मायावी पाप का पर्दाफ़ाश कर रही हैं। ईश्वर आपको सत्य के पक्ष में बने रहने का बल-बुद्धि प्रदान करे।
जय जय भड़ास
जय नकलंक देव
मुन्नी जब आई जब हिजड़े ने आ कर ठुमका लगाया .......:)
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