जो गॉड को लाएं हैं/ हम उनको लायेंगे/ गॉड से फिर हम सब / सब कुछ ही
मांगेंगे...
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' गो महंगाई गो!' गो बेरोजगारी गो!
______________________________________________________ मैंने कल एक सपना
देखा। मैं जर्मनी में हूं। शाम का समय है। सड़क पर...
2 दिन पहले
3 टिप्पणियाँ:
सुन्दर अशआर है..
किस शायर का है?
जय जय भड़ास
डॉ साहब ये पता नहीं किस का है ,किस ने लिखा है ,पर मुझे पसंद आया तो मै आप सब के लिए ले आया
अमित भाई जब तक कोई शायर सबूत के साथ ये नहीं सिद्ध कर देता कि ये उसका अशआर है हम तो इसे आपका ही मानेंगे। वैसे भी भड़ासियों की तो जबरई है जो अच्छा लगता है उसे अपना लेते हैं अपना बना लेते हैं और फिलहाल तो इसे भड़ास पर आपने ही लिखा है। आपको याद होगा कि हरकीरत हक़ीर नाम की एक शायरा ब्लॉगर ने मुनव्वर आपा पर उनकी कविता चुराने का आरोप लगा दिया था जबकि उन्होंने बस उसे उर्दू में अपने ब्लॉग लंतरानी पर लिखा था। हम तो हैं ही बुरे लोग तो एक बुराई ये भी सही...:)
जय जय भड़ास
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