भारी और बुझे मन से...............

बुधवार, 14 सितंबर 2011

भारत में एक अखिल भारतीय मंच ( कांग्रेस) की स्थापना करने के लिए लार्ड ह्यूम को अधिकृत किया। कांग्रेस का असली उद्देश्य था -
१. जनमानस में व्याप्त व्यापक असंतोष और आक्रोश के लिए एक सेफ़्टी वाल्व (Safety Valve) प्रदान करना।
२. ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा करना।
३. उग्र क्रान्तिकारियों को हतोत्साहित करना।
....................................................................................
लार्ड ह्यूम की जीवनी के लेखक सर विलियम वैडरबर्न ने अपनी पुस्तक में ह्यूम के कथन को संदर्भित करते हुए लिखा है – ” भारत में असंतोष की बढ़ती हुई शक्तियों से बचने के लिए एक सेफ़्टी वाल्व की आवश्यकता है और कांग्रेस आन्दोलन से बढ़कर सेफ़्टी वाल्व जैसी दूसरी कोई चीज नहीं हो सकती।”
....................................................................................
लाला लाजपत राय ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक Young India में उपर्युक्त तथ्य की पुष्टि करते हुए लिखा है -
“भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यह था कि इस संस्था के संस्थापक ब्रिटिश साम्राज्य की संकटों से रक्षा करना और उसको छिन्न-भिन्न होने से बचाना चाहते थे।”
....................................................................................
प्रसिद्ध इतिहासकार डा. नन्दलाल चटर्जी ने भी अपने लेख में यही विचार व्यक्त किया है। इस संबंध में रजनी पामदत्त ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक Indian Today में लिखा है -

“कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश सरकार की एक पूर्व निश्चित गुप्त योजना के अनुसार की गई थी।”
.....................................................................................
कांग्रेस में पंडित मदन मोहन मालवीय, लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, डा. राजेन्द्र प्रसाद और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के आगमन के पूर्व इसका स्वरूप अंग्रेज हुकुमत के चाटुकार के रूप में ही था। महात्मा गांधी द्वारा कांग्रेस पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने के बाद इसकी कार्य प्रणाली, चिन्तन और व्यवहार में भारतीय राष्ट्रवाद की छाप स्पष्ट दिखाई देने लगी। फिर भी इसने अहिंसा के नाम पर क्रान्तिकारियों का मुखर विरोध जारी रखा।
.....................................................................................
कांग्रेस ने तिलक के “स्वाधीनता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, हम इसे लेकर ही रहेंगे” और नेताजी का “तुम हमें खून दो, हम तुम्हें आज़ादी देंगे,” का कभी हृदय से अनुमोदन नहीं किया। महात्मा गांधी ने अगर सरदार भगत सिंह की फांसी की सज़ा के खिलाफ़ अपने अमोघ अस्त्र – आमरण अनशन – के प्रयोग की धमकी दी होती, तो वह युवा क्रान्तिकारी बचाया जा सकता था।
.....................................................................................
पंडित मदन मोहन मालवीय को कांग्रेस छोड़नी पड़ी, डा. केशव बलिराम हेडगवार को अलग होकर दूसरा राष्ट्रवादी संगठन (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) बनाना पड़ा, नेताजी सुभाषचन्द्र को कांग्रेस में घुटन महसूस हुई, उन्होंने आज़ाद हिन्द फ़ौज के माध्यम से आज़ादी की लड़ाई लड़ी, विनोबा भावे और जय प्रकाश नारायण को सर्वोदय की शरण लेनी पड़ी तथा श्यामा प्रसाद मुखर्जी, राम मनोहर लोहिया, आचार्य नरेन्द्र देव, जेपी कृपलानी आदि देशभक्त और ईमानदार नेताओं को अलग दल बनाने के लिए वाध्य होना पड़ा। महात्मा गांधी ने आज़ादी के मिलने के पश्चात १९४७ में ही कांग्रेस का रंग-ढंग देख लिया था। उन्होंने इसे भंग करने की स्पष्ट सलाह दी थी जिसे उनके ही शिष्यों ने उनके जीवन काल में ही नकार दिया।
.....................................................................................
क्वात्रोची को क्लीन चिट दी जाती है, काले धान की वापसी की मांग करने वालों को फ़र्ज़ी मुकदमों में फंसाया जता है और मृत्यु की सज़ा पाए देश के दुश्मन खूंखार आतंकवादियों को राजकीय अतिथि की तरह स्वागत में बिरयानी परोसा जाता है।
.....................................................................................
from_
विपिन किशोर सिन्हा, वाराणसी. कवि, उपन्यासकार, कथाकार एवं स्वतंत्र चिन्तक
.....................................................................................

0 टिप्पणियाँ:

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP