बीसवीं सदी के प्रथम एकांकीकार व नाटककार भुवनेश्वर की जन्मशती पर होगा वैचारिक विमर्श
बुधवार, 7 सितंबर 2011
नामवर सिंह करेंगे उद्घाटन, बीसवीं सदी का अर्थ और जन्मशती का संदर्भ श्रृंखला का पांचवां आयोजन
वर्धा, 07सितम्बर, 2011. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के इलाहाबाद केंद्र में बीसवीं सदी का अर्थ और जन्मशती का संदर्भ श्रृंखला के अंतर्गत बीसवीं सदी के प्रथम एकांकीकार व नाटककार भुवनेश्वर की जन्मशती मनाने के लिए भुवनेश्वर एकाग्र विषय पर दो दिवसीय (10-11 सितम्बर, 2011) समारोह का आयोजन किया जा रहा है। भुवनेश्वर के व्यक्तित्व पर केंद्रित उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति व सुप्रसिद्ध साहित्यकार नामवर सिंह (दिल्ली) उद्घाटन वक्तव्य देंगे तथा कुलपति विभूति नारायण राय स्वागत वक्तव्य देंगे। इस अवसर पर वरिष्ठ कथाकार दूधनाथ सिंह (इलाहाबाद) एवं ख्यातनाम रंगकर्मी भानु भारती (नई दिल्ली) मंचस्थ रहेंगे। उद्घाटन समारोह के पश्चात राजकुमार शर्मा (शाहजहांपुर) की कविता भुवनेश्वर की नाट्य प्रस्तुति होगी।
11 सितम्बर को कवि, कथाकार के रूप में भुवनेश्वर पर केंद्रित सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कथाकार व विश्वविद्यालय के अतिथि लेखक से.रा.यात्री (गाजियाबाद) करेंगे तथा दूधनाथ सिंह आधार वक्तव्य देंगे। साहित्यकार रविभूषण (रांची), सुषमा भट्नागर (दिल्ली), सुधीर विद्यार्थी (बरेली) और अनुपम आनंद बतौर वक्ता के रूप में उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में आकर्षण का केंद्र रहेगा-भुवनेश्वर की कविताओं पर आधारित कवि अजामिल की कविता-पोस्टर की प्रदर्शनी। अंतिम सत्र नाटककार भुवनेश्वर पर आधारित होगा, इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ रंगकर्मी भानु भारती करेंगे तथा नीलाभ (दिल्ली) आधार वक्तव्य देंगे। इस अवसर पर मीराकांत (दिल्ली), आतमजीत सिंह (लखनउ), राजकुमार शर्मा और राकेश (लखनउ) वक्ता के रूप में उपस्थित रहेंगे। संध्या 7 बजे भुवनेश्वर के जीवन पर आधारित मीराकांत द्वारा लिखित नाटक भुवनेश्वर दर भुवनेश्वर एवं भुवनेश्वर द्वारा लिखित नाटक तांबे के कीड़े एवं श्यामा; एक वैवाहिक बिडंबना के मंचन से जन्मशताब्दी समारोह का समापन होगा। तीनों नाटकों की परिकल्पना एवं निर्देशन अनिल रंजन भौमिक द्वारा की गयी है। इनकी प्रस्तुति समानान्तर, इलाहाबाद द्वारा की जाएगी।
कुलपति विभूति नारायण से पूछने पर उन्होंने बताया कि भुवनेश्वर हमारे समय और समाज के महत्वपूर्ण नाटककार रहे हैं। उन्होंने नाटक कला के माध्यम से समाज के यथार्थ को चित्रित करते रहे। उन्हें याद करने के लिए ही इलाहाबाद में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जन्मशताब्दी श्रृंखला के संयोजक व इलाहाबाद केंद्र के प्रभारी प्रो. संतोष भदौरिया ने बताया कि जन्मशताब्दी समारोह का यह पांचवां आयोजन है, इसके पूर्व वर्धा, पटना, इलाहाबाद, बांदा में समारोह आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि देश का एकमात्र हिंदी विश्वविद्यालय ऐसा विश्वविद्यालय है, जो हिंदी के शीर्षस्थ रचनाकारों को गहन आत्मीयता और उर्जा के साथ याद कर रहा है। उनकी रचनाओं का पुनर्पाठ और पुनर्मूल्यांकन के द्वारा वर्तमान पीढ़ी को उनके अवदानों से अवगत करा रहा है, नि:संदेह ये गंभीर और सराहनीय प्रयास है। भुवनेश्वर एकाग्र कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विशेष कर्तव्याधिकारी नरेन्द्र सिंह, मनोज राय, विनोद वैद्य तथा विनोद शाही, रघुवंशमणि, चितरंजन सिंह, ज्योति किरण, नरेन्द्र पुण्डरीक, वेदा राकेश सहित बड़ी संख्या में कला व हिंदी साहित्य प्रेमी उपस्थित रहेंगे।
-अमित कुमार विश्वास
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें