मैं अण्णा हजारे जैसे सनकी व्यक्ति को इस वैश्विक मंच से एक हजार आठ फटे जूतों का हार पहना रहा हूँ
मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011
मेरी तरफ से मैं अण्णा हजारे जैसे सनकी व्यक्ति को इस वैश्विक मंच से एक हजार
आठ फटे जूतों का हार पहना रहा हूँ जिसे मुझसे विरोध जो वो कारण सहित तर्क प्रस्तुत
करे। ये बारह पंद्रह साल पहले सठिया चुका खूसट नित नए नाटक कर रहा है। पहले इसने फाँसी
की बात करके ही गाँधी बुड्ढे की विचारधारा की लुटिया डुबा दी थी तो मैंने सोचा कि चलो
इसने गाँधी बुड्ढे का मुखौटा उतार कर अपना असली चेहरा दिखाया लेकिन अब जिस तरह से ये
सनकी, प्रसिद्धि का भूखा खूसट कांग्रेस को वोट न देने की बात कर रहा है उससे क्या जाहिर
नहीं होता कि इसकी राजनैतिक सोच कितनी कुंठित है। ये अधपगला बुढऊ प्रसिद्धि के लिये
इतना दीवाना है कि रोज ही बयान बदलता रहता है। इसने जब अनशन तोड़ा था तो उस समय भी यही
स्थिति थी लेकिन इसके मीडिया मैनेजरों ने ये प्रचारित करा दिया था कि सरकार झुक गयी
है और इन मक्कारों की जीत हुई लेकिन अब सारा सच सामने आ रहा है कि न तो ये कभी जीते
थे न जीतेंगे क्योंकि जो लोग इनकी भीड़ में थे वो सारे के सारे एन.जी.ओ. लॉबी द्वारा
येन केन प्रकारेण जुटाए हुए थे । खरीदे हुए न्यूज चैनल राग अलाप रहे थे कि सारा देश
अन्ना हजारे के साथ है…. भौं भौं भौं…..।
जनता चूतिया थी है और रहेगी तभी तो न तो कांग्रेस का चेहरा पहचान पायी है न
ही बाकी राजनैतिक दलों का । जब तक देश की जनता जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र आदि के
आधार पर वोट देती रहेगी तब तक लोकतंत्र भीड़तंत्र बना रहेगा । कानून की समीक्षा और संविधान
को धर्म/मजहब से हटा कर सबके लिये समान कानून उपलब्ध कराने वाला बनाने की बजाए जब तक
हिंदू-मुसलमान में भेद करने वाला बनाए रखा जाएगा तब तक देश “काले अंग्रेजों” के हाथ
गुलाम बना रहेगा और ये प्रसिद्धि के भूखे अण्णा हजारे जैसे लोग इसी में सुअरलोटन करते
रहेंगे।
जय जय भड़ास
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