महाभयंकर भड़ासी फ़िल्म "प्रश्न" का विशेष प्रदर्शन

रविवार, 18 दिसंबर 2011

लंतरानी मीडिया हाउस के बैनर तले बनी हिंदी सिनेमा के इतिहास की न्यूनतम बजट की महाभयंकर भड़ासी फ़िल्म "प्रश्न" का डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी के घर पर मुंबई के भड़ासियों के लिये एक विशेष प्रदर्शन रखा गया। अब जाहिर सी बात है कि चालीस मिनट की फ़िल्म के दौरान चाय और भजिया के दौर न हों ये तो हो ही नहीं सकता है। शाम को छह बजे का समय दिया गया था लेकिन धन्य हैं भड़ासी जो कि मिलने का बहाना पाते ही मुंबई जैसे व्यस्त शहर में चल पड़ते हैं एक छोर से दूसरे छोर की तरफ । मनीषा दीदी, रम्भा दीदी, टीना, भूमिका, रानी और मुनव्वर आपा तो चार बजे से ही शायद मौजूद थीं रात के खाने की तैयारी भी चल रही है न । छह बजे तक तो हम सभी इकट्ठा हो गये और डॉ.साहब ने अपने स्टाइल में पाँच बजकर साठ मिनट पर फ़िल्म शुरू कर दी । कुछ मिनट तक तो सब के सब दम साधे चुपचाप फ़िल्म देखते रहे लेकिन भड़ासी अपने स्वभाव से किधर टलने वाले हैं तो फिर शुरू हुआ एक एक दृश्य को कई-कई बार देखने का दौर और फ़िर उस पर अपने अपने बखान । बीच-बीच में आवाज भी लग जाती कि दीदी चाय तो पिलवाइये और फ़िर चाय की चुस्कियों से पहले ही गर्मी आ जाती बातों में कि अरे यार तकनीकी तौर पर फ़िल्म कमजोर है दूसरा बोलता कि भाई डेढ़ सौ रुपए में साली एक सही तरीके की फोटो नहीं खिंचती और गुरू जी ने तो बिना किसी के सहयोग के फ़िल्म बना डाली अब क्या जान दे डालें? वो साला शाहरुख खान करोड़ों रुपए खर्च करके घटिया, बकवास और चिरकुट संवादों की लचर-पचर कहानी पर रा.वन बना दे तो दुनिया चर्चा करने लगती है; साले हँसी पैदा करने के लिये कितने चिरकुटपन तक उतर आए थे ये तो देखा था न कि कुंजुम-कुंजुम को कंडोम-कंडोम कह कर फूहड़ हास्य पैदा करने की ठरकियाना तरकीबें तक लगाईं, जी.वन बने शाहरुख खान द्वारा करीना बाई की छाती छूने की कोशिश तक को दिखा कर सिरदर्द झेलते दर्शकों को हँसाने की टुच्ची कोशिशें करी गयी हैं। जबकि "प्रश्न" में भी मुन्नी और शीला की जवानी व बदनामी जैसा एक प्रयोग है लेकिन वह भजन है जिसमें मधुमति को इन दोनो से ज्यादा बदनाम बताया गया है जिस पर आप हँसने की बजाए सिर पीट सकते हैं अपना भी और उस किरदार का भी जिसका नाम है ’गन्ना चबा रे’ । भजन के बोल हैं "मधुमति ज्यादा है बदनाम पति हैं बावन देकर दाम, इश्क निकम्मा नहीं कोई काम सबको मधुमति दे दिल जान...." ये ’मजाक माँ चाँदी’ जी का प्रिय भजन है जिनके नये अवतार श्री गन्ना चबारे जी हैं।
मैं कोई फ़िल्म की कहानी नहीं बताने चला यहाँ जिसे देखना हो वो खुद देख ले इधर-उधर से ।
कुल मिला कर मजा आ गया बस दस्तरख़ान बिछ गया है और खाना लग चुका है तो अब हम सब खाना खाते हुए "प्रश्न" में उठाए हुए सवाल का उत्तर तलाशेंगे और फ़िर निकलेंगे आखिरी लोकल पकड़ने के लिये भागते हुए। आगे की बातें कल लिखूंगा ।
गुरूदेव डॉ.रूपेश श्रीवास्तव की जय हो
जय जय भड़ास

1 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

कुछ भी हो खूब मजा आया :)
जय जय भड़ास

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