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शनिवार, 21 जनवरी 2012

पतियों के लिये पत्नियां भी जूझी हुयी हैं मोर्चे पर

जयसिंह रावत

कहते हैं कि हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला होती है। इस सच्चाई को टिकट बांटते समय राजनीतिक दलों के आला कमानों ने तो महत्व नहीं दिया मगर फिर भी शक्तिस्वरूपा अर्धांगनियों की की ताकत का अहसास दिलाने के लिये उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में खड़े जानेमाने प्रत्याशियों की पत्नियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री से लेकर विधानसभा अध्यक्ष तक की जीवन संगनियां इन दिनों मौसम की बेरुखी को भी दरकिनार कर प्रचार के मोर्चे पर जूझी हुयी हैं।

गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार में अपने पति भुवन चन्द्र खण्डूड़ी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी देख कर उनकी जीवन संगिनी श्रीमती अरुणा खण्डूड़ी ने कोटद्वार का मोर्चा सम्भाल लिया है। विरोधियों द्वारा सुपर मुख्यमंत्री बताई जाने वाली अरुणा खण्डूड़ी गर्व से कहती हैं कि उनके पति फौज में रहे इसलिये उनकी जिम्मेदारी पहले सारे देश की थी लेकिन अब वह उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हैं तो उनकी पत्नी होने के नाते उनकी जिम्मेदारी भी पूरे प्रदेश की हो गयी है। जातिवाद से ग्रस्त होती जा रही कोटद्वार सीट पर पति के लिये उत्पन्न गम्भीर खतरे को भांपते हुये अरुणा इन दिनों कोटद्वार में घर-धर जा कर पति के लिये वोट मांग रही है।

पत्नियों के हिसाब से सबसे रोचक मुकाबले वाली रुद्रप्रयाग सीट पर दोनों ही साडू भाई हरक सिंह रावत और मातबर सिंह कण्डारी एक दूसरे के दांव का इन्तजार कर रहें हैं। प्रतिपक्ष के नेता हरक सिंह रावत और राज्य के काबिना मंत्री मातबर सिंह कण्डारी की पत्नी सगी बहनें हैं। अगर एक बहन प्रचार में कूदती है तो दूसरी का कूदना भी तय है। वहां रोचक पहलू यह भी है कि तीसरी बहिन के पति प्रोफेसर राकेश कुवर उसी जिले में जनरल टीपीएस रावत के रक्षा मोर्चे का चुनाव अभियान के प्रभारी हैं।

देहरादून की कैंट सीट से भाजपा प्रत्याशी और विधानसभाध्यक्ष हरबंश कपूर की पत्नी सविता कपूर अपनी 35 सदस्यीय महिलाओं की टोली के साथ क्षेत्र में सक्रिय हैं। पति की जीत के लिये इन दिनों उनकी पूरी दिनचर्या ही बदल गई। मसूरी सीट से भाजपा प्रत्याशी गणेश जोशी की पत्नी निर्मला जोशी भी पड़ोसनों और रिश्तेदार महिलाओं के साथ प्रचार अभियान में कूदी हुयी हैं। धर्मपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश अग्रवाल की पत्नी भावना अग्रवाल चुनाव क्षेत्र में तो फिलहाल दिखाई नहीं दीं मगर उनके घर पर कार्यकताओं के खानपान से लेकर उनकी ड्यूटियों का पूरा ध्यान रख रही हैं। पिथौरागढ़ सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत का कहना है कि वह आवास में रहकर ही पति के चुनावी शेड्यूल देखती है।

प्रदेश की लगभग सभी हाट सीटों पर उलझे हुये प्रमुख प्रत्याशियों की जीवनसंगनियां इन दिनों अपने पतियों की सफलता के लिये सक्रिय हैं। कोटद्वार में अरुणा खण्डूड़ी ही नहीं बल्कि उधमसिंहनगर जिले के बाजुपर की सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य की पत्नी पुष्पा आर्य और डीडीहाट में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विशन सिंह चुफाल की पत्नी जानकी चुफाल भी कैसे चैन से घर में बैठी रह सकती है। श्रीमती जानकी भी इन दिनों जनसम्पर्क में जुटी हुयी हैं। इसी तरह प्रदीप बत्रा की पत्नी मनीषा बत्रा भी पति की जीत के लिये मैदान में डटी हुयी हैं।

ऐसा नहीं कि केवल पत्नियों को ही पतियों की चिन्ता हो। जितनी भी महिला प्रत्याशी मैदान में हैं उन सबके पति अपनी जीवनसंगनियों के लिये जी जान से जुटे हैं। यह बात दीगर है कि वे सतपाल महाराज की तरह भीड़ जुटाउ स्टार प्रचारक नहीं हैं। सतपाल महाराज इन दिनों अन्य कांग्रेस प्रत्याशियों की परवाह किये बगैर अमृता रावत के लिये दिन रात रामनगर की गलियों की खाक छान रहे है।। कुछ बेबस पति ऐसे भी हैं जो कि पत्नियों के लिये बहुत कुछ कर सकते हैं मगर सरकारी कर्मचारी होने और उपर से चुनाव आयोग का डण्डा होने के कारण लुकछिप कर ही पत्नियों की मदद कर पा रहे हैं। ऐसे ही एक प्रत्याशी पति को इन दिनों नौकरी के लाले पड़ गये हैं।

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