इस देश में लोकतंत्र नहीं चल सकता
रविवार, 1 अप्रैल 2012
इस देश में लोकतंत्र नहीं चल सकता...
यहाँ एक नेक दिल तानाशाह चाहिए...सैनिक वर्दी में हिटलर चाहिए.
कम से कम मैं तो लोकतंत्र को मूर्खों का शासन ही मानता हूँ.
आज इस देश के टुच्चे, लफंगे, अनपढ़, अंगूठा छाप नेता .... जो ढंग से पाजामे का नाड़ा नहीं बांध सकते...
एक सेनाध्यक्ष को अपशब्द कह रहे हैं.
जो एक सिपाही, एक होमगार्ड की नौकरी के भी लायक नहीं है... बकवास कर रहे हैं..
अब तो इस देश के इन कमीने नेताओं की हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि खुलेआम कह रहे हैं ....
सेनाध्यक्ष ही गलत है....बर्खास्त करो.
देश खोखला, सेना खाली हाथ
चारों ओर उग गए
देखो कुकुरमुत्ते हैं
बन्दूक तो है मगर
बारूद है सिला सिला
देखो सैनिको के पैरों में
फटे हुए जूते हैं
केवल एक झूठी परेड है
२६ जनवरी को पैर पटको ...और जाकर बैरक में सो जाओ...!
पैराशूट है...डोरियाँ नहीं,
सेना के जहाज है, टायर नहीं...
तेल की टंकी चू रही है...
छेद पर निर्मल और सनलाईट साबुन लगा के टपकना रोकने की कोशिश हो रही है....!!
सेना प्रमुख जैसे लोग खद्दर छाप टुच्चों की ... पें पें ...सुन रहे हैं...
केवल इसलिए कि उनके जैसे सैनिकों ने हमेशा इस देश के लोकतंत्र का सम्मान किया है.
अगर पाकिस्तान होता तो पता चल जाता ...सेना क्या होती है...!!
सेना ... लोकतंत्र का पहरुआ है... मगर उसको सीधे-सीधे इस लोकतान्त्रिक व्यवस्था में भी हस्तक्षेप कर देना चाहिए...
अगर लगे कि अब यह देश इन चोरों, लुटेरों के हाथों सुरक्षित नहीं है..
जो बहुत बोल रहे हैं....... इन चोर, टुच्चे नेताओं के मुंह में अब केवल.... ए के ४७.... की गोलियां ही डालनी होंगी
सेना को चाहिए कि इन चोरों को पकड़ के दिल्ली के हर पेड़ पर लटका दे
डायरेक्ट एक्शन..!
आखिर कब तक...यह देश इस तरह लोकतंत्र के नाम पर ... गड्ढे में धकेला जाता रहेगा.
क्या यह देश केवल ...नेताओं का ही है...
सेना का नहीं...सैनिकों का नहीं..
अब सचमुच फैसले की घडी है...
सेना को चाहिए कि देश हित में जो बन सके ...कर ले...!!
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