♥♥ प्रमाण संख्या - 03 ♥♥ पक्की और 30,000 मासिक पगार की सरकारी नौकरी—वह भी सिर्फ मासिक प्यार-मोहब्बत (??????????) की पेशकश पर----चौंक गए ना-----पर चौंकिए मत और आप भी प्रयास कर देंखे---शायद आप की किस्मत में भी यह लौटरी खुलनी लिखी हो-----अभी भी नहीं समझे तो इसे पढ़ें---- पटना के गुलजारबाग में गायघाट पुल के बगल में चल रहे एक कार्यालय गंगा पुल परियोजना प्रमंडल मे एक महाशय मो0 शाकीर हुसैन की लिपिक पद पर मात्र 4 माह के लिए नौकरी लगी (यह नौकरी भी सक्षम आदेश के जरिए नहीं थी)। उस 4 माह को बीते आज 24 वर्ष होने को आए पर मो0 शाकीर हुसैन बदस्तूर नौकरी कर रहें हैं। बीते 6 माह पूर्व महालेखाकार कार्यालय के अंकेक्षण दल ने इस फर्जीवाड़े को पकड़ा । अंकेक्षण दल की रिपोर्ट पर अगली कारवाई हेतु श्री दिलीप कुमार कार्य़पालक अभियंता ने मामले को पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख को भेजा। अभियंता प्रमुख के निजी सहायक श्री रमेश मिश्रा ने इस पर, सूत्रों की माने तों, मो0 शाकीर हुसैन से कुछ प्यार-मोहब्बत (???) की बातें की और फिर मामला लापता हो गया। सुधिगण समझ ही गए होंगें की श्री रमेश मिश्रा ने मो0 शाकीर हुसैन से कैसी और कितने की प्यार-मोहब्बत (???) की होगी। (ये वही रमेश मिश्रा हैं जिन्होंने पूर्व में गंगा पुल परियोजना प्रमंडल के बी0के0सिंह, शकील अहमद, सुनील कुमार सिंह आदि कई लोंगों के फर्जीवाड़ों में इस ढ़ंग से प्यार-मोहब्बत (???) की बातें की कि वो फर्जीवाड़े के मामले भी उनसे शर्म खा कोने मे दुबक गए) पर इस एक नासमझ लापता मामला न जाने कहाँ से आकर फिर एक साहब की टेबल पर बैठ गया। इस बार मामला बैठा मुख्य अभियंता, गंगा पुल परियोजना, पटना के सचिव (प्रावैधिक) महोदय की टेबल पर। फिर बेचारे मो0 शाकीर हुसैन की पेशी इन महाशय के समक्ष हुई। फिर बेचारे मो0 शाकीर हुसैन ने प्यार-मोहब्बत (??????????) की पेशकश की पर सचिव (प्रावैधिक) महोदय काफी कड़े मिजाज के हैं सो फरमान जारी हुआ कि वन टाइम प्यार-मोहब्बत (??????????) से काम नहीं चलेगा...हर माह इजहारे प्यार-मोहब्बत (??????????) करना होगा। और फिर शाकीर हुसैन हँसते - हँसते बड़े साहब का फरमान पिछले कुछ माह से कुबुल फरमा रहें हैं। रही बात श्री दिलीप कुमार कार्य़पालक अभियंता की तो उन्हे शाबासी दी गई...पर तुरंत ही साहबों को समझ आया कि मामलों की फितरत तो चंचला लक्ष्मी की तरह है और अगर इस बार यह मामला कहीं घूमते घामते श्री दिलीप कुमार की टेबल पर बैठ गया तो गड़बड़ हो जाएगी क्योंकि दिलीप कुमार ना तो खुद प्यार-मोहब्बत (??????????) कर पाए, ना ही साहबों को प्यार-मोहब्बत (??????????) दे पाए और ना ही साहबों को प्यार-मोहब्बत (??????????) दिला पाए। सो उनका बाइज्जत स्थानांतरण बिना कार्यकाल पूरे ही करवा दिया गया। बन्धुओं, आप भी प्यार-मोहब्बत (??????????) कर के देखें....शायद गंगा पुल परियोजना प्रमंडल में कोई सरकारी नौकरी आपका भी इंतजार कर रही हो...... (रिपोर्ट खत्म हुई...रिपोर्ट तैयारी में गंगा पुल परियोजना प्रमंडल के श्री अरविंद कुमार, कोषरक्षक और श्री धनंजय प्रसाद, सेवा निवृत लेखा लिपिक के असीम सहयोग के लिए धन्यवाद)
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