"राइट टू रिजेक्ट" और "राइट टू रिकाल यानि प्रजाधीन राजा " कानून - जनता २०१४ के चुनाव होने से पहले पास करा ले
बुधवार, 30 मई 2012
"राइट टू रिजेक्ट" और "राइट टू रिकाल यानि प्रजाधीन राजा " कानून होने भारतीयों को क्या मिलेगा जानिए--
राईट टू रिजेक्ट --
१- किसी भी जन प्रतिनिधि का चुनाव करते समय यह सुनिश्चित हो जायेगा की सही प्रत्यासी ही चुना जाये और गलत लोग न चुने ज़ा सके.
२- आज की चुनाव व्यवस्था में यदि चुनाव में १० गुंडे खड़े है तो उनमे से आपको किसी एक को चुनने की बाध्यता है.
३-अब आपके पास एक और विकल्प सबसे निचे होगा -"इनमे से कोई न चुना जाये" , यदि आपके जैसे बहुत सारे लोगो ने इसे मुहर लगा दी तो यह चुनाव रद्द माना जायेगा और इस लिस्ट के सभी प्रत्यासी दुबारा वह चुनाव लड़ने के लिए हमेशा के लिए अयोग्य घोषित हो जायेंगे. यानि यदि विधायक के चुनाव में चुनाव जनता ने रद्द किया तो वे सभी प्रत्याशी दुबारा विधायक का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
४- ऐसा होने पर सभी पार्टिया इमानदार लोगो को ही मैदान में उतारेंगी
राइट टू रिकाल (प्रजाधीन राजा)--
१-इस कानून से चुने गए किसी भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी को बाद में किसी भी समय जनता असंतिष्ट होने पर बरखास्त कर सकती या पद से हटा सकती है.
२-इस कानून से ५ साल की गारंटी समाप्त ही हो जायेगी और लोग इमानदारी से काम करने को बाध्य होंगे.
३-क्षेत्र की २ तिहाई मतदाता यदि विरोध में वोट दे दिया तो सांसद/ विधायक को अपने घर जाना पड़ेगा, तो यह सबका ध्यान रखकर काम करेंगे.
४-इस कानून से जनप्रतिनिधियों की दादागिरी समाप्त हो जाएगी और उनकी जबाबदेही जनता के प्रति होगी. अभी वह संसद के प्रति जबाब देह है.
५-यह "राइट टू रिकाल" चुनाव के ६ महीने के बाद कभी भी किया ज़ा सकता है और इसकी पूरी विधि लगभग तैयार बनी रखी है
इन दोनों कानूनों की रूप रेखा अब किसी भी समय सांसदों के सामने रखा ज़ा सकता है और जनता को चाहिए की वो इसे २०१४ के चुनाव होने से पहले पास करा ले जिससे की २०१४ के चुनाव के बाद के जनप्रतिनिधि को जनता नियंत्रित कर सके.
इसे ज्यादा से ज्यादा लोगो को अग्रेषित करे और लोगो से चर्चा करके अगली पीढ़ी को अच्छा उपहार दे.
जय भारत--
संजय कुमार मौर्य
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