आम आदमी और संजू बाबा !!
शनिवार, 23 मार्च 2013
घटना दुर्घटना भुक्त भोगी आम आदमी होता है के मामले में हमारे निकम्मे न्याय प्रणाली के कारण ही अपराधियों के प्रति सहानुभूति उत्पन्न होता है, फटाफट सुनवाई हो और सजा का निर्धारण तो व्यर्थ समय नहीं किया जाएगा जो अब हो रहा है। दामिनी के बर्बर बलात्कारी और हत्यारे के लिए भी ज्यों ज्यों विलम्ब हो रहा है सहानुभूति का कीड़ा पनप रहा है। क्या इस बे सर पैर की सहानुभूति के लिए हमारी निकम्मी और आलसी न्याय व्यवस्था जिम्मेदार है जहाँ जघन्य अपराधियों के लिए भी सहानुभूति का खेल क्रिकेट की तरह खेलने में प्रायोजक की भूमिका निभाता है ?
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