महिला अधिकार,
गुरुवार, 4 अप्रैल 2013
महिला अधिकार, महिला उत्थान महिला सुरक्षा महिला आरक्षण लम्बी फेरहिस्त है जिस पर लिखने पढने वाले, पत्रकारिता, एन जी औ और साहित्य लिखने वाले महिला के नाम पर अद्भुत भोग कर रहे हैं वहीँ इनके नाम पर भोग लगाने वाली महिला के लिए ये विषय उपभोक्तावाद से अधिक नहीं जबकि बेअधिकार, बेहक की महिला वहीँ की वहीँ। जैसे आरक्षण के नाम पर राजनीति सेंकने वालों ने आरक्षित वर्ग का निवाला छीन कर आरक्षण के नाम पर अपनी रोजी रोटी चलाई है वैसा ही महिला के नाम पर अधिकार छिनने वाले महिला पुरुष (वैसे महिलाओं का निवाला छिनने वालों में महिला ही अधिक है) महिला के नाम पर अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा समृद्धि और व्यापक प्रसार पाया है वाकई में ऐसे आन्दोलन वाले, लिखने और पत्रकारिता करने वाले सपोले होते हैं जो अपने ही जाति का भक्षण कर जीविका चलाने में विश्वास करते हैं।
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