A BOOK CONTAINING GENERAL KNOWLEDGE ABOUT HIMALAYAN STATES

गुरुवार, 18 सितंबर 2014

पुस्तक समीक्षा
हिमालयी राज्य संदर्भ को- प्रतियोगी परीक्षाओं  में सफलता की कुंजी 
समीक्षक-अविकल थपलियाल
पर्वतराज हिमालय आकार में जितना विराट है, अपनी विशेषताओं के कारण उतना ही अद्भुत भी है। अगर हिमालय होता तो दुनियां और खास कर शिया का राजनीतिक भूगोल जाने क्या क्या होता? शिया का ऋतुचक्र और उसमें घूमने वाला मौसम क्या होता? किस तरह की जनसांख्यकी होती और किस तरह के शासनतंत्रों में बंधे कितने दे  होते? विश्व विजय के जुनून में दुनिया के आक्रान्ता भारत को किस कदर रौंदते? इसके बगैर गंगा होती, सिन्धु होती और ना ही ब्रह्मपुत्र जैसी महानदियां होतीं। अगर ये नदियां ही होती तो संसार की महानतम् संस्कृतियों में से एक सिन्धु घाटी की सभ्यता भी होती। दरअसल हिमालय केवल शिया के मौसम का नियंत्रक बल्कि एक जल स्तम्भ भी है। यह रत्नों की खान भी है तो गंगा के मैदान की आर्थिकी को जीवन देने वाली उपजाऊ मिट्टी का श्रोत भी है। सिन्धु से लेकर ब्रह्मपुत्र या कराकोरम से लेकर अरुणाचल की पटकाइ पहाड़ियों तक की लगभग 2400 किमी लम्बी यह पर्वतमाला विलक्षण विविधताओं से भरपूर है। इस उच्च भूभाग में जितनी भौगोलिक विधिताएं हैं उतनी ही जैविक और सांस्कृतिक विविधताएं भी हैं  वरिष्ठ  पत्रकार जयसिंह रावत नेहिमालयी राज्य- संदर्भ को शीर्षक की अपनी पुस्तक में इन्ही विविधताओं  की जानकारियां जुटा कर परोसने का प्रयास किया है।
हालांकि हिमालय से अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान, तिब्बत जुड़े हुये हैं, लेकिन इस पुस्तक में केवल भारतीय हिमालय की गोद में बसे़ 12 राज्यों के बारे में सामान्य जानकारियां उपलब्ध कराई गयी हैं, जोकि विभिन्न श्रेणियों की सरकारी सेवाओं   के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में काफी काम की हो सकती हैं। इस हिमालयी बिरादरी के सात सदस्य राज्य सेवन सिस्टर्स या सात बहनों के नाम से भी पुकारे जाते हैं। भौगोलिक दृष्टि  से जम्मू- कश्मीर , हिमाचल प्रदे , उत्तराखण्ड और सिक्कम सहित हिमालय पुत्रियों की संख्या ग्यारह है। देखा जाय तो पश्चिम बंगाल का दार्जिंलिंग वाला हिस्सा भी हिमालय का अंग होने के कारण इस बिरादरी की संख्या ग्यारह की जगह बारह हो जाती है। उम्मीद की जा सकती है कि इस पुस्तक से संघ लोक सेवा आयोग और राज्यों के लोक सेवा आयोगों तथा अन्य संस्थानों द्वारा आयोजित प्रतियोगी  परीक्षाओं में लाखों युवा लाभान्ति होंगे और उनका भविष्य  संवरेगा। लेखक के अनुसार ये प्रमाणिक जानकारियों विभिन्न राज्य सरकारों के वैब पोर्टलों और सरकारी प्रकानों, जनगणना रिपोर्ट, इतिहास की पुस्तकों एवं कुछ उपलब्ध प्राचीन ग्रन्थों के इधर उधर छपे अंशों  आदि से जुटाई गयी हैं और ऐसे ही दूसरे श्रोतों से उनकी  पुष्टि  की गयी है। लेखक का 36 सालों से अधिक समय का पत्रकारिता का लम्बा अनुभव भी इन जानकारियों के संकलन और उनकी प्रमाणिकता में सहायक रहा है।
ग्रामीण पत्रकारिताऔरउत्तराखण्ड की जनजातियों का इतिहासके  बाद वरिष्ठ  पत्रकार जयसिंह रावत की 192 पृष्ठों  वाली यह तीसरी पुस्तक है जिसे विन्सर पब्लिशिंग कंपनी ने प्रकाशि किया है। इस पुस्तक का लोकार्पण हाल ही में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री हरी  रावत ने विभिन्न क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त हस्तियों की उपस्थिति में किया है। लेखक की पूर्व प्रकाशि पुस्तके भी मूलतः युवा पीढ़ी को समर्पित थीं।
पुस्तक का नाम- “हिमालयी राज्य- संदर्भ को
लेखक- जयसिंह रावत
प्रका- विन्सर पब्लिशिंग कंपनी, डिस्पेंसरी रोड  देहरादून।
ISBN संख्या 978-81-86844-38-9
पृष्ठ  संख्या-192
मूल्य-रु0 295


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