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गुरुवार, 23 अक्तूबर 2014

पता नही कहाँ से फेसबुक आया है
सबको अपना आशिक बनाया है।
इस जहाँ में आते ही आज
हर बच्चा इसमें पहले छाया है।
रिटायर होने को आये सर अवस्थी
उन्हें भी फेसबुक से हो गयी दोस्ती।
स्टेट्स चैट व्हाट्स इन योर माइंड में
अब उन्होंने सारा दिन दिमाग खपाया है ।
उम्र के इस पड़ाव में भी देखो
फ्रेंड्स और लाइक खूब बनाया है।
जाने कहा से ये फेसबुक आया है।
कम्प्यूटर बना कबाड़ी
टैब-लैप भी बना अनाड़ी
अब मोबाईल स्मार्ट बन आया है।
अब हर हाथ में नेट का साया है।
तभी तो फेसबुक इतना छाया है।
फेसबुक पर हो रही दोस्ती
फेसबुक पर ही प्यार निभाया है।
बात अलग है की आई तब अकल
जब फेसबुक प्यार में धोखा खाया है।
ठीक है की यहाँ मिले नये दोस्त मगर
फेस्बुकिया में लोगो ने खुद को भुलाया है
लगती थी चौपाल कभी
मिलते थे जहाँ सभी
अब फोन से ही होती बाते
नेट पे गुजर जाती है रातें।
अब कहाँ की बाते ये तो आलम आया है
फेसबुक की दोस्ती में अपनों को रुलाया है।
पंकज भूषण पाठक"प्रियम"
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