उधारी में गयी उत्तराखण्ड में उज्ज्वला योजना

सोमवार, 18 फ़रवरी 2019



उत्तराखण्ड में उज्ज्वला योजना का अंधेरा भविष्य
-जयसिंह रावत
मतदताओं पर वोट बटोरने के लिये मायाजाल की तरह फेंकी गयी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दर्जनों योजनाओं की तरह गरीबों के लिये शुरू की गयी उज्ज्वला योजना भी उत्तराखण्ड मेंफ्लॉप शोसाबित हो गयी है। इस योजना के तहत दिये कनेक्शन बड़ी संख्या में गलत पाये जा रहे हैं और जो कनेक्शन सही हैं उनमें से भी आधे से अधिक कनेशनधारी वापस गैस रिफिलिंग नहीं करा रहे हैं। रिफिलिंग होने से उनकी सब्सिडी से चूल्हा और गैस आदि की उधारी की जो वसूली होनी थी वह भी नहीं हो पा रही है। कुछ दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में गैस ऐजेंसियां बहुत दूर होने के कारण भी लोग दुबारा रसोई गैस रिफिल नहीं ले रहे हैं।
Jay Singh Rawat Journalist and Author
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के प्रेस प्रकोष्ठ से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखण्ड में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत 31 दिसम्बर, 2018 तक 02 लाख 86 हजार लोगों को निःशुल्क गैस कनेक्शन उपलब्ध कराये गये हैं। जबकि इंडियन ऑयल के एरिया मैनेजर प्रभात कुमार वर्मा के अनुसार प्रदेश में अब तक 2 लाख 70 हजार गैस कनेक्शन ‘‘उज्ज्वला’’ योजना के तहत जारी किये गये हैं। राज्य सरकार और एलपीजी कम्पनी के आंकड़ों में एकरूपता होना ही अपने आप में सरकार द्वारा वाहवाही लूटने के लिये बढ़ाचढ़ा कर आंकड़े पेश करने का एक सबूत है। राज्य में इन कनेक्शनों में भी टारगेट पूरा करने या फिर लोगों द्वारा मुफ्त कनेक्शनों को हथियाने की होड़ के कारण बड़ी संख्या में अपात्रों को ‘‘उज्ज्वला’’ कनेशन दिये जाने की गड़बड़ियां पकड़ी जा रही हैं। अकेले देहरादून जिले में इस तरह के 9000 से अधिक कनेक्शन पकड़े गये हैं, जिन्हें तेल कंपनियों द्वारा निरस्त कर दिया गया है। इन कनेक्शनधारियों से साजो सामान एवं गैस की जो उधारी सबसिडी से वसूल होनी थी वह एक तरह से डूब ही गयी है। इंडियन ऑयल के एरिया मैनेजर प्रभात कुमार के अनुसार यह गड़बड़झाला भारत पेट्रोलियम की ऐजेंसियों से सम्बन्धित है।
‘‘उज्वला योजना’’ की नवीनतम् गाइडलाइन्स के अनुसार इस योजना की पात्रता के लिये केवल गरीब होना ही काफी नहीं है। अगर किसी परिवार के एक सदस्य के पास कनेक्शन है तो दूसरे सदस्य को कनेक्शन नहीं मिल सकता। लेकिन देहरादून मंे ऐसे भी उदाहरण मिले हैं जबकि कुछ लोगों ने अपनी अविवाहित बेटियों के नाम से भी कनेक्शन ले लिये ताकि विवाह के समय दहेज में गैस कनेक्शन भी दिया जा सके। तीन कमरों के मकान, दोपहिया वाहन, रेफ्रिजरेटर, किसान क्रेडिट कार्ड, परिवार के किसी सदस्य की 10 हजार रुपये से अधिक आमदनी एवं लैण्डलाइन फोन वालों को भी कनेक्शन नहीं मिल सकते। लेकिन ऐसे ही लोगों ने ज्यादातर कनेक्शन ले रखे हैं। देहरादून की अम्बेडकर कालोनी में 24 वर्षीय शिवानी को गैस ऐजेंसी ने कनेक्शन दे दिया, जबकि उसके पिता के नाम पहले से ही कनेक्शन था। उसी की 21 वर्षीय बहन दीपिका को भी गैस ऐजेंसी ने कनेकशन दे दिया। इसी कालोनी के मकान नम्बर 17 में सास शकुन्तला एवं बहू संगीता को कनेक्शन दे दिया। नियमानुसार अगर किसी ऐजेंसी ने अपात्रों को 7 कनेक्शन दे दिये तो उस पर 5000 रुपये तक जुर्माना वसूले जाने का तथा 200 गलत कनेक्शन देने पर ऐजेंसी टर्मिनेट किये जाने का प्रावधान है लेकिन उत्तराखण्ड में हजारों गलत कनेक्शन दिये जाने पर भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। क्योंकि ऐजेंसी को ही नहीं बल्कि तेल कम्पनी को भी उज्ज्वला का टार्गेट  आगामी लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करना है।
इस योजना में सब कुछ मुफ्त का प्रचार करना भी गरीब जनता के साथ धोखा है। वास्तव में कनेक्शन देते समय सिलेण्डर और रेगुलेटर की जो 1600 रुपये की सिक्यौरिटी या जमानत ली जाती है वह नहीं ली जा रही है और उसके अलावा लगभरग 1840 रुपये की चूल्हा समेत जो सामग्री दी जा रही है उसे उपभोक्ता को रसोई गैस रिफिलिंग में मिलने वाली सबसिडी से वसूल किया जाना है। यह सबसिडी सभी को मिलती है। अगर उज्ज्वला उपभोक्ता दुबारा गैस नहीं लेता है तो उसे तो सबसिडी मिलेगी और ना ही उससे उधारी वसूल हो पायेगी। इससे सरकार या कम्पनी को मुफ्त कनेक्शन की 1600 रुपये की जमानत का नुकसान होने के अतिरिक्त उधारी के 1840 रुपये का नुकसान भी हो रहा है। उधारी की इस 1840 रुपये की राशि में 675 रु0 की गैस या रिफिल, 990 का चूल्हा, 100 रु0 की ट्यूब और 75 रु0 इन्सटॉलेशन चार्ज शामिल हैं जो उपभोक्ता को मिल रही सबसिडी से वसूल होनी है। जब उपभोक्ता गैस ही नहीं लेगा तो उसे सबसिडी भी नहीं मिलेगी और सबसिडी नहीं मिलेगी तो उससे 1840 रुपये की वसूली भी नहीं हो पायेगी।
एलपीजी डिस्ट्रिब्यूटर्स एसोसिएशन उत्तराखण्ड सर्किल के अध्यक्ष चमनलाल का कहना है कि जिन लोगों को उज्ज्वला कनेक्शन दिये गये हैं उनमें से 50 प्रतिशत भी दुबारा गैस रिफिलिंग नहीं करा रहे हैं। चमन लाल के अनुसार वर्तमान में तो रसोई गैस का एक रिफिल 675 रुपये में पड़ रहा है लेकिन गैस कभी-कभी 800 रुपये प्रति सिलेंडर तक पहुंच जाती है और सरकार द्वारा तय प्रति सिलेंडर सबसिडी खाते में तो जाती है मगर पहले प्रत्येक श्रेणी के उपभोक्ता को रिफिल की पूरी कीमत अदा करनी होती है। इसलिये भी ज्यादातर उज्ज्वला उपभोक्ता दुबारा रसोई गैस नहीं ले रहे हैं। चमन लाल यहां तक कहते हैं कि जब से उज्ज्वला कनेक्शन दिये जा रहे हैं तब से गैस ऐजेंसियों में कमर्शियल गैस की बिक्री कम होने की शिकायतें भी मिल रही हैं। अंदेशा है कि महंगी कमर्शियल गैस खरीदने वालों ने उज्ज्वला उपभोक्ताओं से सिलेण्डर खरीद लिये या फिर वे उनसे सस्ती गैस खरीद रहे हैं।
पहाड़ों में हजारों गांव आज भी मोटर मार्गों से काफी दूर हैं। इन दुर्गम गावों के लोगों को भले ही ‘‘उज्ज्वला’’ कनेक्शन दे दिये गये हों मगर उनके लिये पीठ या सिर पर भारी भरकम सिलेण्डर के बोझ के साथ 15-20 किमी पैदल चलना संभव नहीं है। मसलन उत्तरकाशी जिले के मोरी ब्लाक की सर बडियार पटटी के गाँव डिगाडी एवं पौंटी आदि गावों के लोगों को सिलेण्डर भराने या लेने के लिये 18 किमी दूर  पैदल पुरोला या बड़कोट आना होता है। डिगाड़ी गांव की प्रेमा देवी और अमरदेयी ने 6 माह पूर्व उज्ज्वला कनेक्शन तो लिया मगर उनके लिये गैस ऐजेंसी इतनी दूर है कि वहां से नया भरा हुआ सिलेण्डर लाना बहुत ही महंगा सौदा है। इसलिये इन महिलाओं उधार का चूल्हा और अन्य सामग्री को ही अपने रसोई की शान मान कर सहेजा हुआ है। चमोली, रुद्रप्रयाग एवं पिथौरागढ़ जैसे सीमान्त जिलों में हजारों की संख्या में प्रेमा देवी और अमरदेयी जैसी महिलाएं खाली सिलेण्डरों से मन को तसल्ली दे रही हैं।

- जयसिंह रावत
-11 फ्रेंड्स एन्क्लेव, शाहनगर,
डिफेंस कालोनी रोड, देहरादून।
मोबाइल- 09412324999
jaysinghrawat@gmail.com




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