लैंगिक विकलांगों(हिजड़ॊं) से सीधे सवाल करिये
सोमवार, 10 नवंबर 2008
भूमिका ने मुखौटाधारी ब्लागरॊं की छ्द्म सहानुभूति पर जो अपने अंदाज में धिक्कारना शुरू ही करा था कि टिप्पणीकार ही अनाम, बेनाम और गुमनाम होने लगे। यदि आप इतना साहस जुटा पाएं कि हम लैंगिक विकलांगों के बारे में (जिन्हें आप शायद हिजड़ा कहना अधिक पसंद करते हैं) कुछ जानना है तो शालीन भाषा में मुझसे सवाल करें लेकिन पूरे परिचय के साथ जिसमें आपका नाम, फोन नम्बर, पता, ब्लाग का यू आर एल आदि बताएं जिससे कि पता चले कि आप वाकई गम्भीरता से कुछ ऐसा जानना चाहते हैं जो अब तक आपको पता नहीं है तो मैं आपके हर सवाल का इस चिट्ठे पर उत्तर दूंगी ये एक हिजड़े का वादा है आप मर्द और औरतों से। साथ ही एक छोटा सा विचार दे रही हऊं कि जरा बिना लिंग या योनि की दुनिया में अपनी जगह की कल्पना करिये। यदि शरीर रचना संबंधी कोई सवाल होगा तो उसका उत्तर आपको हमारे मार्गदर्शक भाई डा.रूपेश श्रीवास्तव सहर्ष देंगे। आपके सवालों का मुझे इंतजार रहेगा, आप अपने सवाल मुझे मेरे ई-पते पर(manisha.hijda@gmail.com) पर भेज दीजिये।
1 टिप्पणियाँ:
दीदी,
समाज की सत्यता और सार्थकता को आत्मसात करने की हिमात नही है इन बेनामी लोगों में,
अपनी पहचान के साथ आपके सामने आयेंगे इसमें संदेह ही है, वैसे भी जिस सहानुभूति की बात लोगों ने की उन्हें पता नही की हमारी दीदी और दीदी समाज की सहानुभूति उनके साथ है और वस्तुत: सहानुभूति के लायक भी वो ही हैं, जिनमे अपनी पहचान के साथ सामने आने की कुव्वत नही है, ये वो लोग हैं जो ढकोसले के साथ रंडी रोना जानते हैं ना की सच्चाई का सामना करना.
जय जय भड़ास
एक टिप्पणी भेजें