मेरा स्वागत करिये

रविवार, 2 नवंबर 2008

मामू लोग अभी तक आप लोग को भड़ास निकालते देखती थी और मन ही मन किरकिर करती थी लेकिन अब मैं भी भड़ासिन बन गयी हूं तो सबको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जरा कम ही भंकस करें क्योंकि ये काम अपुन लोग का है। समझे क्या?

2 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

बिटिया रानी बड़ी सयानी......
आपका स्वागत है लेकिन देखना है कि हिंदी में कितना और कब तक लिखती हो... बेटा जब हिंदी में दस मिनट बात करने में पसीना आ जाता है तो फिर मुझे पता है कि ये चार लाइनें लिखने में पूरा दिन लगाया होगा :)

बेनामी ने कहा…

फरहीन आपका स्वागत है, और हाँ ज्याश्ता किरकिर नही करने का क्या, दीदी की तरह विचारों की क्रांति चला देना का, बाकी मामू लोग है न परेशानी हल करने को.

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