बरसाती मेंढक टूर्र-टूर्र.....
शुक्रवार, 19 दिसंबर 2008
हाय रे मेरे देश की राजनीती... मुए नेताओं को कोई मुद्दा न मिला, पिछले कई दिनों से अंदर ही अंदर किल्बिलाये जा रहे थे। अचानक सांसद अंतुले की जबान ऐंठ गई... वह बोल गया की करकरे को मरने के पीछे साजिश हो सकती है। अबे बेवकूफ इतनी बड़ी साजिश हो गई, सारी दुनिया में दुन्दुभी मच गई, सोया था क्या अभी तक? अब क्या था जिसे देखो अंतुले के पीछे हाथ, पैर, सर सब कुछ धोकर पीछे पड़ गए। कुर्सी भी जाती रही बन्दे की..ये नेता महाराष्ट्र से जुडा हुआ है, इसलिए वहा भी इसका पुरजोर विरोध हुआ। अच्छा लगा की किसी सही बात पे सारे मौकापरस्त एक दिखे। लेकिन उनका क्या जो अभी-अभी समुंदर के खारे पानी में दुबके हुए थे... न जाने कौन सी बयार बही की बरसाती मेंढक की तरह सड़कों पर उतिरा गए। आप बिल्कुल सही समझ रहे है , बात हो रही है अपने आप को भगवन शिव की तथाकथित सेना कहने वाले उन गीदडों की जो मौत बनकर सहर की तरफ़ भागते है। अंतुले ने इनको भी मौका दे दिया तर्ताराने के लिए... अरे मेंढको होश में आओ ये बरसात का नही ठण्ड का महिना है , सड़कों पे दौडोगे तो खामखाह शर्दी लग जायेगी। शर्दी तो दूर की बात है हवा भी लग गई तो शरीर में ऐंठन हो जायेगी। वैसे भी अन्य नेताओं की तरह तुम्हारे शरीर में भी हड्डी तो होती नही है, कब, कहाँ, कैसे और क्यों घुस जाते हो और निकल जाते हो पता ही नहीं चलता। इसलिए भैय्ये लोगों की राय मनो और निकल लो पतली गली से.... क्यूंकि अब लोग जान चुके है की किस मेंढक के बोलने से बरसात होगी और किस के बोलने से आफत आयेगी।
1 टिप्पणियाँ:
मनोज भाई,
नेता जी बोलेंगे नही तो करेंगे क्या, बोलने की ही कमाई खाते हैं, बोल के ही लोगों को चुतिया बनते हैं,
बस आम लोगों को चुतियापा छोरना होगा, और इन बरसाती मेढक की टर्र टर्र को नजर अंदाज करना होगा.
जय जय भड़ास
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