प्रेम की रूमानियत को समझें
मंगलवार, 16 दिसंबर 2008
मेरे भडासी दोस्त ने चाँद मोहम्मद के प्यार को जिस नजरिये से पेश कर दिया हो सकता है की वो ठीक हो लेकिन..मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहूँगा के प्यार न देखे जात और पात। हो सकता है की ये सिर्फ़ मीडिया हाइप के लिए किया गया हो, या ये भी हो सकता है की इसके पीछे भी कोई राजनितिक एजेंडा हो, और जनाब होने को तो कुछ भी हो सकता है। कही भी, किसी से भी और कभी भी प्यार हो सकता है। जब हो गया है तो छुपेगा कैसे। इसलिए सबके सामने है। फिर मैं इनको धन्यवाद देना चाहूँगा की इन्होने डंके की चोट पर दुनिया के सामने कबूल किया की, हाँ हमें प्यार है और हम इसके लिए कुछ भी करने को तैयार हैं, धर्म परिवर्तन भी॥ दिल्ली में हुई इनकी प्रेस कांफ्रेंस में मै भी मौजूद था। इनको देखने से कही से भी नही लग रहा था की ये कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे थे। भाई , चाँद मोहम्मद उन चंद दगाबाज नेताओं से बहुत अच्छे है , जो रात के अंधेरे में नंगे होकर न जाने कितनो को नंगा करते है। चूँकि ये अंधेरे में होता है इसीलिए वह-वह.....अमरमणि त्रिपाठी की प्रेम कहानी ज्यादे दिन पुराणी नही है जिसमे इस नेता ने लड़की का रस चूसने के बाद उसे गोली भी मरवा दी। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह तो कुसुम रोय के चक्कर में अपनी राजनीती ही दाव पर लगा दी। अभी ताज़ा घटना है की कद्दावर नेता नारायण दत्त तिवारी के कथित बेटे ने अपना हक़ माँगा है..ये तो कुछ ऐसे उदाहरण है जिनका जिक्र गाहे-बगाहे होता रहता है..इसके अलावा कई ऐसे नेता हैं जो दुहरी या तिहरी जिंदगी जी रहे हैं, उनका क्या? ये तो अच्छी बात है की स्वार्थ में ही सही लेकिन इन्होने स्वीकार तो किया..और एक बात कुर्सी भी कुर्बान हुई है इनकी। पत्रकार भी अब सवाल कम जवाब ज्यादे देते हैं। एक मोहतरमा ने पूछा क्या आपको कुरान की वो आयत आती है? इस पर फिजा ने उत्तर दिया की क्या आपको हनुमान चालीसा याद है? पत्रकार का मुह देखने लायक था। खुस होइए की आतंक के काले बादलों से प्यार के एक फुहार निकली ..जिसने जाने-अनजाने न जाने कितने लोगों को प्यार की ठंडक से भिगोया। तो स्वागत है चाँद मोहम्मद और फिजा की प्यारी सी दास्ताँ में ..पढिये और मस्त रहिये, दुनिया को रखिये ठेंगे पर...क्योंकि जब आपके जज्बात जागेंगे तो दुनिया काम नही आयेगी और कोई काम आएगा तो सिर्फ़ व सिर्फ़ फिज़ा ............................
जय भड़ास जय जय भड़ास
5 टिप्पणियाँ:
ये हुई न बात जरा....
छील छील कर प्यार के खजूर की गुठलियां निकाली है महाराज...मजा आ गया।
जय जय भड़ास
इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया वरना ये भी आदमी थे काम के....
जय जय भड़ास
बहुत बढ़िया भाई अच्छा लगा कि राजनेताओं के सीने में भी दिल होता है लेकिन हो सकता है कि कुछ इसमें भी राजनीति हो
जय जय भड़ास
हो सकता है कि नेता जी अभी तक इसका रस चूस कर गुठली न कर पाए हों इसी लिये चिपकाए फिर रहे हैं फिर बाद में पीछा छुड़ाने के कार्यक्रम करेंगे जैसे कि आपने बताए हैं
जय जय भड़ास
गुरदेव,
इश्क ने निकम्मा बना नही दिया, चलो इश्क के बहने निकम्मे से जान छुटी लोगों की.
जय जय भड़ास
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