भारतीय पत्रकार का चला खर्चा इराकी जूते से

सोमवार, 22 दिसंबर 2008

इराक़ के एक बहादुर पत्रकार ने दुनिया के सबसे ताक़तवर देश के राष्ट्रपति को जूता फेंक कर मारा और मानो जलजला गया, इस लिए नही की अमेरिका ने इस पर प्रतिक्रिया की या इसलिए भी नही की अमेरिका सर्वशक्तीमान पर जुटे से प्रहार हुआ अपितु व्यवसाय की होड़ में अंधी हो चुकी पत्रकारिता के लिए सबसे बड़ा लौटरी निकला, अंधे पत्रकारों के हाथ बटेर लगी.


सबसे ज्यादा जलजला तो हमारे हिन्दुस्तानी मीडिया के हाथ लगा, आख़िर हो भी कैसे नही, हिन्दुस्तान की सरकार के क़दमों चिन्ह पर चलते हुए हमारी मीडिया सब कुछ के लिए अमेरिका का मोहताज जो हो जाती है, राजनेता की तरह पत्रकारिता के भी दामाद अमेरिका जो ठहरे, सो बस जूता ही जूता-मौजा ही मौजा। जूता से स्वागत





सबसे हद तो भारत के पत्रकारों ने कर दी, बेचने की होड़ और लाला जी की सेवा में सदैव त्पर ये पत्रकारों की जमात ने जुटे और जैदी की कवायद तो शुरू की मगर नजरिया सिर्फ़ व्यावसायिक ख़बर बेचना, लोगों की भावना बेचना, संवेदना बेचना और बेचना अपनी पत्रकारिता को।

जूते को बेचा, बुश को बेचा मगर क्या पत्रकारिता पर खड़े उतरे ?

कहाँ है हमारा बहादुर पत्रकार
क्या जैदी जैसा जज्बा, जोश और पत्रकारिता है हमारे देश के पत्रकारों में ?
क्या ये पत्रकारिता के साथ इन्साफ कर रहे हैं ?
क्या व्यवसाय की होड़ में लाला जी की दुकानदारी के ये चाकर लोगों की जुबान बन रहे हैं ?

या फ़िर प्रेस का कार्ड और लोगो लगा कर लालबत्ती का सुख भोग रहे हैं ?
ख़बर के नाम पर मनोरंजन और बेस्वाद व्यंजन पडोसने वाले इन पत्रकारों ने जैदी के लिए मुहीम चलायी है ?
कहाँ है जैदी?
क्या हो रहा है जैदी के साथ?

प्रश्न बहुत सारे हैं मगर जवाब देने वालों में पत्रकार नही क्यौंकी इन्हें इन्तेजार है अगला जूता कौन फेंकेगा, हमारी एक्सक्लूसिव और फुटेज कैसे बनेगी।

प्रश्न है मगर अनुत्तरित ?

4 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

भाई,भड़ास इसी को कहते हैं शायद अगर हम लोग वेबपेज से निकले जूता लेकर तो ऐसा ही होगा और लाला लोग अपनी दुम को पिछली टांगों के बीच दबा कर भाग लेंगे~
जय जय भड़ास

दिल का दर्द ने कहा…

रजनीशजी आप सब की दुआ की जरूरत है. शायद भगवान मेरा प्यार मुझे लौटा दे.
मेरी भावनाओ को समझने के लिए आपका धन्यवाद.

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

भाई(या बहन)आप जो भी हों लेकिन अगर बात दर्द की है चाहे वो दिल का हो लीवर का हो या फेफड़ों का या फिर किडनी का..... वो रजनीश भाइ का नहीं मेरा क्षेत्र है आपके दर्द को मैं ही क्या हर भड़ासी समझ सकता है बस बांटिये तो हमसे जरा.....
सप्रेम
डा.रूपेश श्रीवास्तव

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

हम सबकी दुआ आपके साथ है आपका प्यार आपको जरूर मिलेगा~ चिंता न करें और न ही निराश हों...

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