मीडिया के नजरिये से बात तो कई दिन पुरानी हो चली है
शनिवार, 13 दिसंबर 2008
मेरे भीतर की खिसियाहट है कि शान्त होने का नाम ही नहीं ले रही है जबकि अगर मीडिया के नजरिये से देखा जाए तो बात तो कई दिन पुरानी हो चली है तो अब किसी नए मुद्दे में मसाला डाल कर उसकी जुगाली करनी चाहिये लेकिन जरा आप भी तो देखिये कि कितना तकलीफ़ देती हैं हो सकता है कि हमारे देश की जनता भी कितनी गलीज और लिजलिजी सी है पता नहीं ढीठ हैं या परम चूतिया लेकिन कुछ तो जरूर बात है हमारे देशवासियों में...........
2 टिप्पणियाँ:
दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि हमारी जनता का प्रतिसाद ऐसा है लेकिन अधिकारी गणों और नेताओं का भी ऐसा ही रवैया है लेकिन एक उम्मीद है कि कभी तो बदलाव आएगा हम रहें या न रहें...
जय जय भड़ास
यही वजह है कि इस देश की जनता के साथ ऐसा होता है लेकिन जब जान पर बन आती है तो ये अपरिचित लोगों के लिये जान देने वाले जवान ही आगे आते हैं चूतड़ मटका कर नाचने वाले अभिनेता या क्रिकेटर नहीं जिनके लिये जड़बुद्दि जनता पगलायी रहती है। भारत एक मनोरंजन प्रधान देश है यहां की जनता की यही नियति है कि इन्हें लोग ऐसे ही कीड़ो-मकोड़ों की तरह से मारें।
जय जय भड़ास
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