यशवंत जी, सिर्फ़ सदस्यता नही और भी बहुत कुछ समाप्त करना है.......
शनिवार, 17 जनवरी 2009
यशवंत जी, पंखे वाले भड़ास के मोडरेटर आपने भड़ास से मेरी सदस्यता समाप्त कर दी, ना ही कोई सुचना ना ही कोई वार्तालाप। आपने हमें महान बनाने की श्रेणी में रखा और प्रवक्ता के बाद मुख्य प्रवक्ता और फ़िर संयोजक जैसे भारी भरकम पद देकर समानित किया। आभार आपका।
क्या करें तन मन और आत्मा से भडासी हैं सो ना मालुम होने के कारण ही आपके सदस्यता समाप्ति पोस्ट के ठीक ऊपर मेरा भड़ास लटक रहा था और मुझे पता ही नही चला की ये पोस्ट भी है जिसमें मुझ कूड़ा को आपने निकाल बाहर फेंका है। अमूमन ऐसा आप पहले भी करते रहे हैं और बहुतेरे सदस्यों को मन की मर्जी से शामिल किया और मर्जी से बाहर का रास्ता दिखाया। आपके इस कुकृत्य के कारण तो मुझे भी गालियों का हार मिला जो आप अभी भी मेरे ब्लॉग पर जा कर देख सकते हैं, अब मैं इन अनपढ़ ना समझ ब्लोगर को कैसे समझाऊं की ब्लॉग का मोडरेटर ही आपको शामिल कर सकता है और निकाल बाहर भी। सो आपके अलोकतांत्रिक व्यवहार और निरंकुशता का हर्जाना बहुतो ने भुगता है सो मैंने भी भुगता।
क्या करें तन मन और आत्मा से भडासी हैं सो ना मालुम होने के कारण ही आपके सदस्यता समाप्ति पोस्ट के ठीक ऊपर मेरा भड़ास लटक रहा था और मुझे पता ही नही चला की ये पोस्ट भी है जिसमें मुझ कूड़ा को आपने निकाल बाहर फेंका है। अमूमन ऐसा आप पहले भी करते रहे हैं और बहुतेरे सदस्यों को मन की मर्जी से शामिल किया और मर्जी से बाहर का रास्ता दिखाया। आपके इस कुकृत्य के कारण तो मुझे भी गालियों का हार मिला जो आप अभी भी मेरे ब्लॉग पर जा कर देख सकते हैं, अब मैं इन अनपढ़ ना समझ ब्लोगर को कैसे समझाऊं की ब्लॉग का मोडरेटर ही आपको शामिल कर सकता है और निकाल बाहर भी। सो आपके अलोकतांत्रिक व्यवहार और निरंकुशता का हर्जाना बहुतो ने भुगता है सो मैंने भी भुगता।
आपके पंखे पर स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है जिसे मैं यहाँ तस्वीर से बता रहा हूँ की लेखक अपनी रचना के स्वयं जिम्मेदार हैं। अब जबकि आपने पंखे वाले भड़ास से मुझे कूदे को उठा कर कुदेदानी में फेंक दिया है तो निश्चय ही मेरी लेखनी ( जिम्मेदारी के मुताबिक) आपके ब्लॉग पर अब औचित्यहीन हो गयी है सो मैं अपने लेखनी को अनाथ नही छोर सकता। और अंत में आपके लगाये गए लांक्षण के लिए शुक्रिया, कंप्युटर पर बैठ कर कोई तकनिकी का जानकार नही हो जाता और कलम पकड़ कर कोई पत्रकार नही हो जाता। अन्यथा आप बच्चे चुराने वाले आरोप ना लगते, आपके इस आरोप का विवरण आपके तकनिकी मित्र दे देंगे वैसे लोगों के ऊपर लांक्षण लगा कर शोहरत कमाने में आपको सिद्धस्त प्राप्त है और कई दफे आपने ऐसा किया भी है जिसके गवाह बहुत से भडासी भी मिल जायेंगे सो शुभकामना और बधाई, क्षद्मता मत दिखाइए। प्रसन्न रहिये।
आप से अनुरोध की अपने ब्लॉग से मेरे और तमाम उन भडासी के जिनको आपने बाहर का रास्ता दिखाया है के पोस्ट अपने ब्लॉग पर से हटा लें।
सादर,
भवदीय
रजनीश के झा
(पंखे वाली भड़ास की आत्मा चुराने में संलिप्त)
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
भड़ासी मामू! बच्चा चोर....या अल्लाह ये कैसे कैसे इल्जाम है आप पर.... आप तो पंखों वाली भड़ास के नन्हें-मुन्ने पिल्ले चुराते हैं लेकिन कैसे करते हैं ये हमें भी तो बताइये:) ये लांछन का काला टीका आपके सुंदर चरित्र को नजर लगने से बचाए रहेगा और आप इसी तरह भड़ास की आत्मा को जगाए रखिये....और इल्जाम झेलते जाइये।
जय जय भड़ास
भड़ास का दर्शन हर आदमी की समझ में नहीं आता है जो दिल से भड़ासी है वही भड़ास को जी सकता है,जो बेचने खरीदने की ही सोच भर रखता है वह बस भड़ास का नाटक ही कर सकता है आप और हम जैसे लोगों को इल्जाम ही नहीं हर कदम पर सताए जाने के लिए तैयार रहना होगा अभी बहुत कुछ बाकी है मेरे भाई........
जय जय भड़ास
बनिये...बनिये....बनिये...
बौखला गया है बनिया आपके हमले से...
भड़ासियों को बकलोल समझने की गलती करी है तो अब भुगत बेटा....
भड़ासी तुझे छोड़ेंगे नहीं मुखौटा लगा कर घूमने के लिए... नौटंकी कहीं का... पेले रहिये साले को...
जय जय भड़ास
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