कन्युनिटी ब्लाग माडरेटर आपके लिखे "गु्ड़ खाने" को "गू खाना" कर सकता है
शनिवार, 17 जनवरी 2009
रजनीश जी पर तो अपने कंप्यूटर पर लेट-बैठ कर पंखो वाली भड़ास के बच्चे चुरा रहे हैं लेकिन मुनव्वर आपा, मनीषा दीदी और मोहम्मद उमर रफ़ाई के बारे में तो ये कहा गया है कि इन सबका कोई वजूद ही नहीं है इनके नाम से डा.रूपेश श्रीवास्तव ही अपना पागलपन निकाले रहते हैं, इस आरोप के साथ ही इन सबकी भी सदस्यता समाप्त करी गई है लेकिन पंखो वाली भड़ास के मुख्य प्रवक्ता घोषित करे गये मनीषराज जी का क्या दोष था उन्हें तो बोनस में सबसे पहले ही लपेट दिया गया था। अब आप जानते हैं कि अगर माडरेटर महोदय चाहें तो इन सभी की पुरानी पोस्ट्स में कुछ हेरे-फेर करके हमें किसी भी विवाद में उलझा सकते हैं जैसे कि गुड़ खाने को गू खाना कर दें और अपने किसी पंखे को हमसे उलझा दें। इसलिये जरूरी है कि सभी भड़ासियों की सारी पुरानी पोस्ट्स उन्हें नैतिकता स्वीकार करते हुए हटा देना चाहिये। लेकिन अगर हजरत ऐसा करेंगे तो भड़ास का सारा भड़ासाना कंटेंट ही गायब हो जाएगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि वो ऐसा हरगिज नहीं करेंगे बनिया जो ठहरे। आप लोगों ने एक बार भड़ास की ताकत से ब्लागवाणी नामक एग्रीगेटर की ऐसी-तैसी करी थी लेकिन अब बनिये-बनिये एक हो गए हैं और अब इन सुम्म कोंबडि़यों का अगला प्रयास रहेगा भड़ास को एग्रीगेटर्स से चुपचाप अपने वणिक संबंध इस्तेमाल करते हुए हटा देना लेकिन हम इस के मोहताज नहीं है क्योंकि हम जानते हैं कि इनका एक ही सिद्धांत है बस फायदा...फायदा...और फायदा। पंखो वाली भड़ास के माडरेटर को लग रहा है कि चूतिये हैं कुछ दिन तक चीख-चिल्ला कर चुप हो जाएंगे लेकिन वो ढक्कन ये नहीं जानता कि अब भड़ास की आत्मा यहां अवतरित हो चुकी है तो जब तक नतीजे तक नहीं पहुंचा लेते, मुखौटा उतार कर, दिखावटी भदेसपन का कमीनापन सामने नहीं ला देते चुप नहीं रहेंगे। इन जैसे लोगों ने अपनी दुकान में सजाया है गांव, हिंदी, भदेसपन, मिट्टी, सरलता, मजदूर का पसीना वगैरह जबकि इन्हीं को बेच कर ये खुद अय्याशी में लिप्त हैं। लोगों के सामने इनका असल चेहरा लाना हमारा मिशन है। तब तक पेले रहेंगे जब तक इनकी बखिया न उधेड़ दें।
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
मै भी निजी तौर पर मानता हूं कि यदि कम्युनिटी ब्लाग से किसी की सदस्यता समाप्त करी जाती है और शर्त ये रहती है कि कंटेंट के लिये लेखक स्वयं जिम्मेदार है तो माडरेटर महोदय को सारे पोस्ट हटा देने चाहिए या फिर लेखक स्वयं ही हटा दे लेकिन सदस्यता खत्म होने के बाद लेखक ऐसा कर ही नहीं सकता.......
वरना गुड़ का गू और हींग का हगा करने में कितनी देर लगती है अगर सदस्यता समाप्त कर देने की हद तक वैमनस्यता है तो......
जय जय भड़ास
सच कहा आपने लेकिन क्या वणिक शिरोमणि यशवंत सिंह ने अब तक कोई प्रतिक्रिया भी दी है? मुझे पूरी उम्मीद है कि वो आपका लिखा हर पोस्ट हरगिज न हटाएंगे..... लालाजी का शो केस ही खाली हो जाएगा जैसे आजकल शोकेस में पंखे सजे हुए है लेकिन आग भड़काने वाले ब्लोअर्स थे जैसे अपने डाक्साब,रजनीश भाईसाहब,मुनव्वर आपा और मनीषा दीदी वो तो अब रहे ही नहीं.... तो एकाधा चिंगारी रखने के लिये पोस्ट्स तो रखनी ही पड़ेंगी
जय जय भड़ास
एक टिप्पणी भेजें