मुसलिम आतंकवादी नहीं होते।
बुधवार, 21 जनवरी 2009
ज्ञात है:- अमेरीका में हमला,ब्रिटेन में हमला ,मुम्बई पर हमला ,दुनिया में होने वाले अधिक्तर आतंकवादी हमला।
सिद्ध करना है:- मुसलिम आतंकवादी नहीं होते।
रचना:-इन हमलो के अभियुक्तो का मिलान करें।
फर्क नहीं पडता।वो सिर्फ बहक गये थे।उनका बचाव दीनबन्धु व अजय मोहन जैसे बुकर पुरस्कार प्राप्त विजेता कर रहें है अत: इन सब तथ्यों से स्पष्ट होता है कि
मुसलिम आतंकवादी नहीं होते। इति सिद्धम
नोट :मेरे ब्लोग पर कोई मुसलिम (आतंकवादी) कमेन्ट ना करे मुझे नफरत है उनसे
3 टिप्पणियाँ:
समय आ गया है की हमारे बीच एक हिटलर, स्टालिन या माओ जन्म ले. बहुत झेल लिया इन कट्टरपंथी आतंकियों को, अब तो इनके हाथ परमाणु बम भी लग चुका है, उसी की दम पर आत्मघाती आतंकवादी के जैसे सारी दुनिया को ब्लेकमेल करते रहते हैं.
आपकी नफ़रत ने ही मुझे बाध्य करा है कि मैं टिप्पणी करूं और आप उसे हटा देंगे(हटाना आपके नियंत्रण में है) लेकिन क्या आलोक भट्टाचार्य जैसे लोगों को मार डालेंगे या बस नफ़रत करते ही जीवन बिता देंगे जिनकी कविता कुछ दिन पहले ही भड़ास के पन्ने पर प्रकाशित हुई थीबर्बरियत की तारीख तब आप कहां थे कुछ बोले नहीं उस कवि और कविता पर???? जिस दिन किसी से प्यार हो गया उस दिन खुद से पूछियेगा कि किस अंधेरे में जी रहे थे...
जय जय भड़ास
नफरत ना करो मित्र, क्यूँकी नफरत आप से इंसानियत छीन लेगा, रही बात कमेन्ट की तो आपको लिखने की स्वतंत्रता है और उस पर आपत्ति होनी जायज है. आख़िर ये अभिव्यक्ती की स्वतंत्रता सबके लिए जो है.
सलाह : नफरत का इस्तेमाल करके तिरंगे को अपमानित ना करें, क्यूँकी तिरंगे का तीनों रंग से सराबोर एक एक धागा सिर्फ़ प्यार और मानवता से बंधा है.
जय जय भड़ास
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