नगीना खो रहा समाज

गुरुवार, 8 जनवरी 2009

हाँ नगीना नाम ही तो है उसका, रामप्रसाद और लालती को जब चौथेपन में एक संतान हुई तो उन्होंने प्यार से उसका नाम नगीना रख दिया था। हमेशा चिथडों में तन को ढंकने वाले रामप्रसाद के घर संतान न होने से उनका जर्जर घर भुतहा लगता था। फिर एक किलकारी गूंजी , हीरे से चमकते दोंतों वाली वह गुडिया इनके जीवन का नगीना ही तो थी। लालती और रामप्रसाद दोनों रोज़ मेहनत मजदूरी करने वाले थे, अब उनके घर में एक छोटी सी प्यारी सी, फूलों सी मासूम बिटिया का जन्म हुआ था। सारी तकलीफें होने के बाद भी ये दोनों बहुत खुश थे , जीवन का पहिया चलता रहा और प्यारी बिटिया नगीना सायानी हो गई। लेकिन उतनी भी सायानी नही हुई थी रामप्रसाद और लालती फिक्रमद हो जायें। क्या उमर ही थी उस नन्ही सी जान की मात्र १४ साल ! एक दिन रह चलते कुछ लोग उसे उठा ले जाते हैं,

4 टिप्पणियाँ:

मनोज द्विवेदी ने कहा…

GALTI SE YE POST ADHURI POST HO GAYI HAI ISE HATA DE TO ACHCHHA RAHEGA....

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

नहीं प्यारे भाई आगे की पोस्ट भाग -२ लिख कर भेज दीजिये......आयुषवेद पर नजर मारियेगा।

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

क्या मनोज भाई??? बड़े दिनों बाद...

बेनामी ने कहा…

मनोज भाई,
आपके शेष का इन्तजार है, वैसे ये अपने आप में पुरी कहानी है.
हमारे समाज का आइना, एक हकीकत.
जय जय भड़ास

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP