न्यूज़ चैनलों के डैडी ओबामा

शुक्रवार, 23 जनवरी 2009

इधर काफी अरसा बीत जाने के बाद भड़ास पर लिखने का मौका मिला. हालाँकि आप लोगों के विचार पढने का मौका मैंने कभी नहीं छोडा. रात में एक बार आप सभी को पढ़ जरूर लेता हूँ. बहरहाल अब सीधे अपनी भड़ास पर आता हूँ. कल रात सोने से पहले टीवी देखने वाली सामान्य बीमारी से दो चार हो रहा था. तभी महान पत्रकार रजत शर्मा के कथित न्यूज़ चैनल इंडिया टीवी पर जाते ही मेरी उँगलियाँ ठहर गयीं. खबर चल रही थी कि लादेन प्रेसिडेंट ओबामा की लिखावट देखकर घबराया. ये बात अलग है कि इस बात का जिक्र कहीं नहीं किया गया था कि लादेन ने रजत शर्मा को फोन कर के अपने घबराने की बात कही या चैनल के पत्रकारों को कोई सपना आया या फिर ओबामा की लिखावट से गोलियां छूट रहीं थी. मैंने अपना सिर पीटा आगे का कोई चैनल देखने की हिम्मत नहीं हुई क्यूँ कि अंदाजा था की बाकि पर भी यही चल रहा होगा या इसी से मिलता जुलता कुछ। इधर कुछ दिनों से मैं हर चैनल पर बराक ओबामा को देखदेख कर उकता गया हूँ. ऐसा लग रहा है जैसे ओबामा इन चैनल वालों का बाप है और इनका बाप अमरीका का राष्ट्रपति बन गया है और उसके लौंडे खुशियों का इजहार किया जा रहे हैं. तो भईया बाप तुम्हारा राष्ट्रपति बना है हम लोगों के दिमाग की क्यूँ मारने पर तुले हो? हाँ तुम कह सकते हो कि आपको नहीं पसंद आया तो चैनल बदल दीजिये. वो तो बदलना ही पड़ता है भाई लेकिन एक इच्छा दबी रह जाती है कि देश दुनिया का कुछ हाल आपसे मिलेगा. यार तुम जैसे ही अमरीका के गुलामों ने पाकिस्तान की मार को रख दी. अब हमारी ऐसी की तैसी करने पर तुले हुए हो. उस साले अमरीका का गुलाम बनाकर. कायदे से समझो भाई तुम्हे गुलामी का शौक है जम कर करो मगर हमारे सामने अपनी गुलामी का नंगा नाच न करो.

3 टिप्पणियाँ:

मुनव्वर सुल्ताना Munawwar Sultana منور سلطانہ ने कहा…

चंदन भाई सच है कि न्य़ूज चैनल वालों ने तो ओबामा को इस तरह से पेश करा है जैसे कि वही एक ऐसा है जो भारत का भाग्यविधाता है... उल्लू के पट्ठे हैं सुअर कहीं के..
जय जय भड़ास

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

चंदन भाई पूरी ऊर्जा के साथ नजर आये लेकिन बड़े दिन बाद....क्या बात है ज्यादा ही व्यस्त हो?
जय जय भड़ास

गुफरान सिद्दीकी ने कहा…

चन्दन भाई यकीन मानो आपका लेख देख कर जोर जोर से हंसने का मन कर रहा है लेकिन क्या करूँ यहाँ और भी बहोत से लोग काम करने वाले हैं इसलिए अपनी इच्छा को मन में दबा कर कुछ देर के लिए रख लेता हूँ बाद में कहीं उगल दूंगा यार जब आपकी कलम चलती है तो बहोत सी ढकी छुपी सामने आ जाती है वैसे आप जैसा निर्भीक पत्रकार ही अपनी नौकरी दावं पर रख कर अपने हम पेशा लोगों को आईना दिखा सकता है .....!

आपका हमवतन भाई .....गुफरान......(awadh pepuls forum)

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