निकम्मे भडासी का स्वागत कीजिये।
रविवार, 1 फ़रवरी 2009
सबसे पहले तो तमाम भडासी को सादर प्रणाम। ये भड़ास पर मेरा पहला पोस्ट है और आखिरी नही होगा इसका वादा करता हूँ। मैं निकम्मा निठल्ला आवारा सा गली का कुत्ता था जिसे कृष्णा दीदी ने रुपेश भैया के हवाले कर दिया की अपनी कुत्तई भैया से सीख कर निकालूँ। दीदी के मातृत्व को प्रणाम और पिता तुल्य गुरु डाक्टर रुपेश श्रीवास्तव के चरण में शिष्य का वंदन। पीछले कई महीने से रुपेश भैया से काले कलमुहे कम्पूटर पर गिटिर पिटिर करना सीख रहा था, ऐसा नही की ब्लॉग से अनजान, डाक्टर भैया के सानिघ्य में साथ बैठ कर ब्लॉग पढ़ा करता था और ब्लॉग के चूतियों का चूतियापा भी। एक बात तय है कुछ भी कर लो किसी को कितनी भी आजादी और स्वतन्त्रता दे दो कुत्ते कुत्तेपन से बाज नही आते और इन चू............को देख कर मेरी शराफत का कुत्ता फ़िर से जागने लगा है।
बस भड़ास परिवार से आशीर्वाद, और ब्लॉग जगत के कुत्तों को चेतावनी।
लो मैं आ गया।
भड़ास भड़ास भड़ास भड़ास
धूम धूम धडाक धूम धूम धडाक धूम धूम धडाक
3 टिप्पणियाँ:
स्वागत है भैये,
बाण चलते जाइए, कौन कुत्ता और कौन गली का, आप बस दिल की भड़ास को भड़ास नामक पवित्र पन्ने पर उड़ेलते रहिये.
जय जय भड़ास
सुस्स्स्सुआगतम...सुस्वागतम... जरा इस तरीके से चलियेगा अग्नि बाबू कि घर में ही अंगार न लग जाए लेकिन आप डा.रूपेश के शागिर्द हैं तो कोई खतरा नहीं है....पेले रहिये
जय जय भड़ास
बहना,
अपुन भैया के शागिर्द ही नही कृष्णा दीदी के छोटे भाई भी हैं,
खालिस भडासी,
आग तो लगायेंगे, पण जिसके पीछ्वाडे में लगायेंगे वो पानी पानी ही चिल्लाता रहेगा.
जय जय भड़ास
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