ब्लाग जगत का मोदी

रविवार, 8 फ़रवरी 2009

ब्लाग जगत का मोदी

उम्र ,24
ऐम,तुस्टीकरण मिटाना
मोदी क्यों बन गया,या बना दिया गया (फंडू सेक्युलरिष्ट-तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले मीडिया-सरकार ,मुस्लिमों (आतंकवादियों)के बारे में लिखने के कारण)वैसे मैने आज ही पढ़ा कि मोदी प्रधानमंत्री पद के सबसे पसंदीदा उम्मीदवार हैं(मेरे भी चासेज हैं)धन्यवाद दीनबन्धू जी विजय मोहन जी गुरफान भाई मुझे भगवा का सर्टिफिकेट देने के लिये।भारत में मीडिया के तीन ग्रेड हैंपहला जो सबसे निम्न समझा जाता है वो जो हिन्दूओं की बात करते हैंदूसरा तबका अमेरिकापरस्त जो इसाई मसिनरियों द्वारा संचालित होते हैं जिनकी कृपा से बाराक ओबामा की जीत की खुसी में इंडिया में केक कटे मेरी समझ में नहीं आया क्यों?तीसरा तबका मालामाल बुकर विजेता मुसलिम(आतंकवादी) परस्त ।तीसरा तबका हिन्दुओं की बात करने वालों को तुरन्त भगवा घोषित करते है ।जैसे मुझे घोषित किया गया ।वैसे मैं बहुत दिनों बाद पोस्ट लिख रहा हूं।क्या करू दूर गाव में रहता हू।लाईट रात में बारह बजे के बाद आती है और सुबह चार बजे चली जाती है।अब आप समझ सकते हैं कितनी मुस्किल से लिखता हूं।इधर महीने से लाइट ही नहीं आई।
आते ही देखा xyz -man जैसे अराजक तत्व मुझे नसीहत दे रहे हैं।वैसे मै भी फेमस हो गया हूँ।मेरे उपर बहुत सारे पोस्ट लिखे जा चुके हैं सब लोग मुझे नसीहत दे रहे हैं क्या करू पहले मै भी सेक्युलर था अपने गाँव में इक्लौता पर मेरे मोदी बनने के कारण.......होली दिवाली में हमारे गाँव में कभी लाईट नहीं आती पर ईद बकरीद में रात भर लाईट रहती है चाहे मुलायम हों चाहे मायावती.........मुम्बई आतंकवाद व अंतुले प्रकरण.........भारत पाकिस्तान मैच होने पर पढे लिखे मुसलमानों द्वारा भी पाकिस्तान के जीतने पर खुस होनाबहुत से कारण हैं क्या क्या लिखें..................

6 टिप्पणियाँ:

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

भगवा या हरा रंग लेकर सोच रखने वाले भाई एक काम क्यों नहीं कर पाते आप में अगर वाकई इतना साहस है कि आप पंथ व मतों से अलग हट कर निरपेक्षता की बाते लिख कर ये जताना चाहते हैं कि आप हिंदुओं के एक सच्चे हितैषी हैं तो जरा संविधान के निर्माता डा.बाबा साहब अंबेडकर और मोहन दास करम चंद गांधी को भी चार लाइन लिख कर लानत भेज कर देखिये जो कि स्वयं इन विचारों के हिमायती थे। अभिनव भारत की स्थापना सन १९०४ में विनायक दामोदर सावरकर ने करी थी और कुछ अर्थों में जो सपना उन्होंने देखा था उसी सपने की प्रतिक्रिया हुई मुहम्मद अली जिन्ना के सपने के रूप में लेकिन तब तुम शायद नहीं थे वरना शायद सम्पूर्ण हिन्दू राष्ट्र बनाने का सपना पूरा करा लेते। आपकी अगली पोस्ट में आपकी राष्ट्रवाद की क्या सोच है उसे स्पष्ट करियेगा वरना हम मानेंगे कि आप बस समस्या की तरफ उंगली दिखाते हैं हल तो सुझाइये और जरा "बर्बरियत की तारीख" कविता पर अपने विचार लिखियेगा ऐसा मत करियेगा कि फिर चार-छह माह के लिये गांव और लाइट का रोना लेकर गायब हो जाएं....
देश को राष्ट्र बनाए जाने का मार्ग आप ही सुझाइये हम उस विचार पर अमल करते हुए आगे बढ़ेंगे,ईद पर बिजली नहीं जाती दीवाली पर चली जाती है... निःसंदेह यह समस्या है लेकिन आपने क्या करा ये भी बताइयेगा अगली पोस्ट में....मात्र घर में बैठ कर कोसने से काम नहीं चलता ....मेरा देश महान नहीं है इसके लिये मैं भी जिम्मेदार हूं ऐसा मान कर तो देखिये... हिंदू,मुस्लिम,इसाई,पारसी,सिख.... ब्राह्मण-चमार-बनिया-ठाकुर कब तक करते रहोगे? सुझाव दो तटस्थ मत रहो राष्ट्रनिर्माण में अपना दायित्त्व स्वीकारो..... आपकी अगली पोस्ट का इंतजार है
जय जय भड़ास

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

सफलता का मंत्र देने वाले भाईसाहब आपके गांव में महीने भर लाइट नहीं थी तो आपने निजी स्तर पर क्या करा?क्या सिर्फ़ कोसने का कार्यक्रम करते रहे या अपने जैसे कुछ स्वयंभू भविष्य के प्रधानमंत्रियों को ले जाकर विद्युत विभाग और जिले के अधिकारियों पर कुछ कार्यवाही भी करी?यदि आप अपने गांव का पता प्रकाशित करें तो सूचना प्राप्ति के अधिकार के अंतर्गत आपके गांव में इतने लम्बे समय तक बिजली न आने का कारण जाना जा सकता है व उसका निवारण करवाने का लोकतांत्रिक व संवैधानिक प्रयास करा जाए लेकिन आप तो अपना नाम तक लिखने में कतराते हैं। जब मुसलमानों को देश से भगाने की बातें करके मन भर जाए तो फिर चमार,मेहतर, भंगी, ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर करना और फिर इसके बाद स्त्री और पुरुष का मुद्दा आपके लिये बचा रह जाएगा उस पर अवश्य चर्चा करियेगा। मैं भी आपसे कहूंगी कि श्री आलोक भट्टाचार्य जी की कविता "बर्बरियत की तारीख" पढ़ कर कुछ टीका अवश्य करिये ताकि पता चले कि आप राष्ट्रवाद की क्या सोच रखते हैं भगतसिंह का राष्ट्रवाद या गोलवलकर का राष्ट्रवाद या फिर आपकी कोई भिन्न धारा है..... आप पर कौन-कौन सी पोस्ट लिखी गयी हैं जिनके आधार पर आप अपने आपको इतना प्रसिद्ध मान बैठे हैं कि प्रधानमंत्री तक बनने का सपना पाल रहे हैं जरा स्पष्ट करियेगा मुझे भी प्रतीक्षा रहेगी वरना अगली बार से आप चाहे मुसलमानों को आतंकवादी लिखें या राष्ट्रवादी कम से कम मैं तो आपकी पोस्ट को नजरअंदाज ही कर दूंगी क्योंकि आप भ्रम पाल बैठे हैं कि भड़ास के मंच पर मुसलमानों को गाली दो तो लोग अधिक तवज्जो देते हैं
जय जय भड़ास

भूमिका रूपेश ने कहा…

ये आदमी दिमागी मरीज है शायद इसीलिये इसे हिंदू-मुसलमान के अलावा देश में कोई समस्या नहीं दिखाई देती। जिन नेताओं ने हिंदू हित की बातें बनाई हैं उन्होंने इसके गांव में बिजली की समस्या क्यों हल नहीं कर दी। अडवाणी और राजनाथ क्या इसके गांव के बारे में क्यों नहीं सोचते..... कभी चार गालियां उन्हें तो दे क्या वो सब इसके सगे हैं? ऐसे ढक्कनों को बेकार ही भड़ास जैसे मंच पर जगह दे रखी है। इससे अच्छे तो हम हिजड़े हैं जो कम से कम इन बातों को समझ पा रहे हैं।
जय जय भड़ास

गुफरान सिद्दीकी ने कहा…

यार पहले तो ये तुस्टीकरण क्या है ये जानना चाहूँगा और जहाँ तक मोदी की बात है तो अब कलयुग में और कौन है जो सत्ता सुख भोग सकता है खैर भाई मैंने कभी नहीं कहा की जो हिन्दुवों की बात करते हैं वो भगवा होते हैं और हाँ ये हमेशा याद रखिये की अगर मुस्लिम शब्द के आगे आतंकवादी लिखने से आपको प्रसिद्धि मिल रही है तो इसमें कोई एतराज़ नहीं आखिर बॉलीवुड में भी जो दिखाता है उसी की पूछ होती है.(मेरा अपना ये मानना है जो अपने धर्म और समाज को नहीं मानता वो देश के लिए भी कुछ नहीं कर सकता).
अब हम सभी उत्सुक हैं की आप देश के लिए क्या करने जा रहे हैं कहीं सिर्फ चिल्ला चिल्ली करके कुछ कमाने के फेर में मत पड़ जाना मेरे भाई.

शुभकामनाओं सहित आपका हमवतन भाई .......गुफरान.....awadh pepuls forum

दीनबन्धु ने कहा…

मैं भड़ास के माडरेटर्स से निजी नहीं बल्कि एक लोकतांत्रिक दरख्वास्त करता हूं कि इन सज्जन(?)की सदस्यता इस मंच से समाप्त कर दी जाए ताकि ये अपनी कुत्सित सोच का ज़हर अपने जैसे लोगों के साथ ही निकालें जो देशहित में रहेगा
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

भाई,
आप प्रेम की बात कीजिये, समस्याएँ और भी हैं जिन्हें हमें मिल करा ख़तम करना है, आप ने जिस समस्या की और इशारा किया, काश आपने उसके लिए सिस्टम सी लदी की होती ?
बहरहाल प्रेम और सद्भाव, सबका हात एक हात और लोकतंत्र के साथ देश को मजबूत करो फ़िर देखो हमारे देश के इन दीमकों को कैसे भागना पड़ता है.
जय जय भड़ास

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