अपने आतंकवादी भाईयों को मेरा नाम दे सकते हैं
सोमवार, 9 फ़रवरी 2009
भारत पाकिस्तान मैच के समय हजारों लोगों को वीजा दिये
गये जिसमें से कई सौ पाकिस्तानी वापस ही नहीं गये?
वो कहाँ गये गुरफान भाई?शायद वो भारत को विकशितराष्ट्र
बनाने की मुहिम में लगे हैं।ये सब जानते हुये भी आप की
सरकार (कांग्रेस) चुप क्यों है।क्यों नहीं एक-एक घर की
तलासी होती?क्यों नहीं मसजिदों की तलासी होती?हम
मन्दिर की तलासी के लिये तैयार हैं।पिछले हफते मैनें
शुक्रवार मैग्जीन में पढ़ चालीस रू.में बाग्लादेशी घुस्पैठीयों को भारत की
नागरीकता मिल जा रही है पर आप की सरकार आप
लोगो को नाराज नहीं करना चाहती है यही तुष्टीकरण है?अंतुले का
बचाव करना तुष्टीकरण है।जहाँ आग होती है वहीं धुआं होता है
अगर ये सब सही नहीं है तो आप लोग इतने उतावले क्यों हैं?
आप लोगों को लगता है मै भजपा का समर्थक हूँ ।पर मै नहीं हूँजब
आडवानी ने पाकिस्तान में जिन्ना को शान्ति का दूत कहा था
(वोट पाने)के लिये तभी से मै भाजपा का कट्टर विरोधी हूँ।
ईद में रात भर लाईट रहना व होली दिवाली में लाईट नहीं रहना
मै जब से होस सभाला तबसे देख रहा हूं।आप सूचना का अधिकार
का प्रयोग कर के ये पता कर सकते हैं मुझे कोई आपत्ती नहीं।मेरे जो
विचार हैं वो होस सभालने के बाद मेरे द्वारा देखे गये तुष्टीकरण की नीति
के कारण है?एक बीच वाले कटेगरी के भाई मुझे धौंस देते हैं कि भडा़स
से मुझे निकाल दिया जायेगातुष्टीकरण की राजनीति में मुझे सब मन्जूर है?
भडास में जितने भी लोग लिखते हैं शायद मै ही सबसे गरीब ,गाँव का हूँ
आप मेरी सदस्यता समाप्त कर सकते हैं?आर्थिक मंदी में छटनी तो होनी ही
है मेरी ही सही। कुछ लोग मेरा नाम जानना चाहते हैं (प्रशांत कुमार सिंह)
आप अपने आतंकवादी भाईयों को मेरा नाम दे सकते हैं अपने ही देश में अब
डरकर तो नहीं जीयेंगे ना जो होगा देखा जायेगा?
5 टिप्पणियाँ:
प्रशांत कुमार सिंह जी चालीस रुपये में बांगलादेशी लोग भारत में घुस रहे हैं उसके लिये जनता अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से सवाल क्यों नहीं करती और ये जान कर भी जनता में मौजूद आप जैसे लोग चुप क्यों हैं जब आरक्षण आदि के मुद्दे पर लोग हथियार लेकर सड़कों पर आ जाते हैं भले ही कोई भी चुनी हुई सरकार हो तब क्या हर शहरी का फ़र्ज नहीं है कि राष्ट्र के प्रति अपना दायित्त्व माने। आप आधी बात सुनते हैं आपने नाम बताया तो देश में अगर गुफ़रान के आतंकी भाई आपके अनुसार आपको मारना चाहें तो उसके लिये पूरा पता भी चाहिये और सूचना प्राप्ति के लिये भी पता चाहिये। किसी के कहने से आपकी सदस्यता तो रद्द होने से रही बस इतना ध्यान रखिये कि आप असामाजिक,अनैतिक और असंवैधानिक बात न लिखें जैसा कि आप सभी मुस्लिमों को आतंकवादी मान कर ठेस पहुंचा रहे हैं दूसरी मुख्य बात कि आपने कविता "बर्बरियत की तारीख" पर अपने विचार नहीं लिखे उससे बचना क्यों चाहते हैं?
जय जय भड़ास
चलिए अब आपका नाम पता होने से संबोधन करने में आसानी होगी 'प्रशांत' भाई आखिर इतने अशांत क्यों हैं अगर आप चाहें तो हमसभी आपके गांव के हालात के लिए सिस्टम से लड़ सकते हैं और जहाँ तक ईद में लाइट होने न होने की बात है तो मुझे लगता है की आप को अभी तक ये पता नहीं की भारत में सरकारी नौकरियों में और सत्ता में कौन से लोग सबसे ज्यादा हैं अब आप सवाल पूछना चाहते हैं तो उनलोगों से पूछो मंच आपको डॉक्टर रुपेश जी ने दे दिया है और जहाँ तक बांग्लादेशियों या पाकिस्तानियों की बात है तो इसकी ज़िम्मेदारी भारत के मुसलमानों की नहीं ये ज़िम्मेदारी भारत की सरकार की है तो बेहतर होगा की ये सवाल आप उन्ही लोगों से करें.
आपका हमवतन भाई...गुफरान...awadh pepuls forum
प्रशांत भाई आपका नाम अशांत कुमार सिंह होना चाहिये था क्योंकि गांव में बिजली भले न हो लेकिन आप इंटरनेट का प्रयोग कर भड़ास के मंच पर लगातार सबको गालियां देते रहते हैं। आपने देश के लिये क्या करा है? क्या करने का इरादा है? आपका राष्ट्रवाद किस सोच का है? है भी या नहीं? मेरी कैटेगरी तो वही है जो आपकी है यानि एक भड़ासी..... बस लैंगिकता भिन्न है मैं लैंगिक विकलांग हूं और आप पुरुषांग लटका कर हम पर टीका करने का गौरव हासिल करे हैं ईश्वर न करे कि आपके परिवार में कोई मेरे जैसा बच्चा पैदा हो जाए ताकि जब कोई उसकी विकलांगता का निशाना बनाए तो आपको बुरा न लगे
आपके उत्तर की प्रतीक्षा है बर्बरियत की तारीख कविता से बचने की कोशिश कर रहे है अगली पोस्ट में पहले उस पर अपने विचार लिखें तब आगे बात करियेगा तटस्थ रह कर षंढत्व न दिखाएं
जय जय भड़ास
प्रशांत जी एक और हिंदुस्तानी मुसलमान जिसके कई अपने आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए हैं आपकी पोस्ट पर कमेंट करने आ गया है लेकिन जब तक आपकी सोच नहीं बदलेगी आप मुसलमानों को आतंकवादी मानने का भ्रम पाले रहेंगे आपकी ऊर्जा राष्ट्र के उत्थान में न लग पाएगी आप जिन्हें भी देश का हितैषी मानते हों जरा उन्हें नामांकित करिये
जय जय भड़ास
भाई प्रशांत,
आप फ़िर से आतंक-आतंकी, हिंदू मुस्लिम की बात पर आ गए, क्या हम अपने राष्ट्र की मूलभूत धारणा पर नही चल सकते? क्या हम अपने तिरंगे का सम्मान नही कर सकते?
अगर सर्वधर्म समभाव की बात है तो ये संस्कृत में है और हमारी संस्कृति भी.
चलिए सब मिल कर लड़ते हैं.
जय जय भड़ास
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