पापी पंधेर को मिली फांसी, अंधेर गर्दी में और भी हैं.....

शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2009

नॉएडा के बहुचर्चित निठारी कांड में आज फैसले का दिन था। कोर्ट ने पापी पंधेर और खून की होली खेलने वाले सुरेंदर कोली को फांसी की सजा सुनाई है। फैसला सुनते ही वहां मौजूद सैकड़ों लोगों के चेहरों पर खुसी की लकीरें स्पस्ट दिखलाई दे रही थी। इसके आलावा भी देश के करोड़ों लोग इस फैसले से खुश हैं। जज ने इसे रेयरेस्ट में रेयरेस्ट केस करार दिया है। यह एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है। आपको बताता चलूँ की इस केस में भी बहुत सरे पेंच लगाये गए थे, ख़ुद सी बी आई ने एक बार पंधेर को क्लीन चिट दे दी थी। लेकिन कोर्ट के सख्त रवैये से परेशां होकर सी बी आई ने पंधेर को दोषी माना। एक बात और साफ होती है की सी बी आई किस हद तक गिर कर मामले में अपनी भूमिका निभाता है ये किसी से छुपा नही रह गया है। भ्रस्त व्यस्था के संचालक मानवता ही हद से इतना गिर सकते हैं अपने कभी सोचा नही होगा। इसी केस में गाजिअबाद के एक वकील ने पीडितों की तरफ़ से निःशुल्क मुकदमा लड़ा। अन्यथा आज कोई और ही इतिहास लिखा गया होता..लेकिन मैं बार-बार यही कहना चाहता हूँ की प्रकृति अपना संतुलन ख़ुद बनती है बिना किसी के सहयोग से। इसलिए इस वकील ने मानवता और प्रकृति का साथ दिया नतीजा आपके सामने है। पंधेर के पापी मकान के नाले से ४० पैकेट ऐसे मिले थे जिनमें मानव अंग पाए गए थे। अब आप ख़ुद सोच सकते हैं की इन दोनों ने कितने मासूमों के साथ कुकृत्य कर इनकी हत्या की , यही नही हत्या के बाद शवों को टुकडों में काटकर नाले में फेंक देते थे। शायद ऐसा कभी नही हुआ होगा या हुआ भी होगा तो सामने नही आया। ये भी हो सकता की रसूखदार मानसिक हिजडे आज भी ऐसे कुकृत्यों को अंजाम दे रहे हो और हमें पता नही। लेकिन कोर्ट के इस फैसले ने थोडी उम्मीद जरुर जगा दी है। ये तो मासूम गरीब और बेसहारा तथा लाचार लोगों को अपना शिकार अंधेरे में बनते थे। लेकिन उनका क्या जो दिन के उजाले में मानवता तो तार-तार और इंसानियत को पंगु बना रहे हैं? फैसला हम सबको करना है की भ्रस्तों, बेईमानों, चोरों, गद्दारों को पहचाना जाए और बिच बाज़ार में उनका मुखौटा उतरकर लोगों को बताया जाए की देखो येही है वो गलीच आदमी जो मनुष्य को मनुष्य नही समझाता। समाज में जागरूकता उतनी ही जरुरी है जीतनी हमें जीने के लिए सांसों की जरुरत होती है। मालिक करे की इस फैसले से जन जागरूकता पैदा हो और लोग ऐसे लोगों के खिलाफ खुलकर सामने आयें ताकि फिर कोई पंधेर पाप करने से पहले सौ बार सोचे। यही इस ऐतिहासिक फैसले का फीडबैक होगा, अन्यथा ये सिर्फ़ एक फैसला बनकर कानून की किताबों में पड़ा रहेगा........
जय भड़ास जय जय भड़ास

3 टिप्पणियाँ:

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

मनोज भाई दिल को सुकून मिला कि अब लोगों को संविधान पर भरोसा हो पाएगा। बस उस दिन का इंतजार है जब हमारे जस्टिस आनंद सिंह की लड़ाई किसी अंजाम तक पहुंच पाएगी और एक सही लोकतंत्र स्थापित हो पाएगा।
जय जय भड़ास

prashant ने कहा…

अफजल गुरू को पहले से ही फाँसी मिली हुई है मगर तुष्टीकरण की दुनिया में कुछ भी संभव है।

बेनामी ने कहा…

मनोज भाई शानदार लिखा है आपने,
मगर सुकून और संतुष्टि में अभी और जेहाद बाकी है. मनीषा दीदी जिस दिन डाक्टर आनंद सिंह के साथ जेहाद में हम सभी कोर्ट में होंगे उस दिन हमारे कानून की जीत होगी.
जय जय भड़ास

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