टाइम्स ग्रुप के सम्पादक देश में अलगाववाद के समर्थन में हैं शायद....
शनिवार, 14 फ़रवरी 2009
आज जब मैं कई दिन बाद अभी पूना से पनवेल(नई मुंबई) वापस आयी तो घर पर आये पुराने अखबारों को टटोला क्योंकि हमारे छात्रावास में उर्दू/हिंदी अखबार नहीं आता है सच तो ये हैं कि तमाम देशों से पढ़ने आये लोग अंग्रेजी अखबार ही देखते हैं। चार दिन पहले के उर्दू टाइम्स में पहले पन्ने पर बड़ी सी खबर तस्वीर के साथ चिपकी हुई थी "बजरंग दल के करीब दो सौ कार्यकर्ताओं ने मुंबई की हाजी मलंग दरगाह पर धावा बोला...." चित्र था कि दरगाह के मुजावरों(दरगाह की देखभाल करने वाले पुरोहित नुमा लोग) के साथ तमाम लोग भगवा ध्वज लिये खड़े दिख रहे हैं। आगे खबर थी कि किस तरह रात को लगभग डेढ़ बजे के आसपास कैसे हाजी मलंग बाबा की दरगाह पर चल रहे उर्स के कार्यक्रम के दौरान बजरंग दल के लगभग दो सौ कार्यकर्ताओं ने लाठी-डंडे और भगवे ध्वज लेकर जय श्री राम और जय श्री मलंग के नारे लगाते हुए दरगाह पर हल्ला बोल दिया और तमाम मुस्लिम श्रद्धालुओं को जबरन जय श्री राम के नारे लगाने पर बाध्य करा और ना-नुकुर करने पर जम कर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया, दुकाने लूट ली गयीं दुकानदारों को जख्मी कर दिया गया, इनकी इस हरकत का निशाना बच्चे, बूढ़े और महिलाएं सभी बने। पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस हमेशा की तरह से मूकदर्शक बनी रही लेकिन जब दरगाह ट्रस्ट के लोगों ने प्रयास करे तो अड़तीस उपद्रवियों को गिरफ़्तार करने की औपचारिकता निभा ली गई और तत्काल रिहा कर दिया गया। उपद्रवियों का कहना है कि ये दरगाह हिंदुओं का पूजा स्थल है जो कि मत्येन्द्रनाथ की समाधि है। गौरतलब बात ये है कि इन उपद्रवियों में गिरफ़्तार हुए लोगो में दो बन्दे मुस्लिम नाम के भी थे जो कि बजरंग दल में बाकायदा पदाधिकारी हैं। यानि स्पष्ट है कि हिंदू-मुस्लिम से कुछ नहीं होता बल्कि समाज दो ही वर्गों में विभाजित है एक शोषक और दूसरा शोषित.........।
खबर खत्म हो गयी लेकिन अब मैंने उसी तारीख के टाइम्स ग्रुप के सभी अखबार जो मुंबई में प्रकाशित होते हैं खंगाल डाले लेकिन किसी में इस खबर की एक लाइन तक नहीं थी (बल्कि किसी भी अखबार में ऐसा नहीं छपा था)। अब मैं इस बारे में सोच रही हूं कि क्या ये खबर इतनी महत्त्वपूर्ण थी कि इसे कई लाख सर्कुलेशन के उर्दू टाइम्स में पहले पन्ने पर इतनी बड़ी बना कर छापा जाए? अगर सचमुच ऐसा है तो टाइम्स समूह के किसी दूसरे अखबार में इसका जिक्र तक नहीं है क्यों???
क्या टाइम्स समूह उर्दू जानने वाले(अधिकतर मुस्लिम ही होते हैं) लोगों में ही यह समाचार प्रसारित करना चाहता है? क्यों??? ताकि मुस्लिम अपने आप को ऐसा महसूस करें कि उन पर, इस्लाम पर और उनके पूजा स्थलों पर हमले हो रहे हैं जिससे कि अलगाववादी संगठन उनकी इस असुरक्षा की भावना का दोहन कर सकें। मैं निजी तौर पर इस बात के लिये टाइम्स समूह की ऐसी सोच की घोर निंदा व भर्त्स्ना करती हूं जो समाचार जैसे पवित्र तत्व को इतने गंदे मकसद के लिये इस्तेमाल करने की नियत रखता है।
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
फ़रहीन बेटे जी, कोई आश्चर्य नहीं है अगर ये लोग ऐसा कर रहे हैं तो क्योंकि देश की ऐसी स्थिति के लिये ये लोग भी काफ़ी हाथ रखते हैं
जय जय भड़ास
फरहीन
पत्रकारिता को धंधा करने वालो ने इस पवित्र ग्रन्थ को नापाक बना दिया है, अपने स्वार्थ के लिए ख़ुद भी दंगा करा कर ख़बर लगवा सकते हैं,
हमारा पुरा भड़ास परिवार इसकी तीव्र भ्रत्सना करता है.
जय जय भड़ास
फरहीन
मुद्दा सटीक है लेकिन सिर्फ टाइम्स समूह ही क्यों जितने भी मीडिया (घराने) हैं वो भी यही करते हैं उनको सिर्फ मसाले दर ख़बरों से मतलब होता है और एक खबर के बाद अगर उसी पर कोई बड़ी खबर बन जाय तो फायदा किसका होता है अब राजनीतिक दलों के साथ साथ इनका भी यही काम है वो वोट कमाते हैं ये नोट कमाते हैं और मरता कौन है .........??????
आपको इस बेबाकी के लिए बधाई ........जय जय भड़ास
आपक हमवतन भाई ..गुफरान...
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