सादर अभिवादन

सोमवार, 2 फ़रवरी 2009

"सच....?"
दुनियाँ और आप
एक दूसरे के लिए
"पहेली से हैं "
आप जो दुनियाँ को
अपना चाबुक मारें उसके पहले दुनियाँ
आपको चाबुक जड़ देगी
"झूठ .....!"
जी हाँ
सफ़ेद झूठ
की आप दुनियाँ को चला रहें हैं ...?
हाँ एक बात और
कुत्ता गाड़ी के नीचे रात भर चले
स्वामी भक्ति है
किंतु
बैल की बुराई बताए कि
वो ही रात भर गाड़ी खींच रहा था ....!!

3 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

मुकुल भाई स्वागत है आपका...लेकिन भड़ासियों की फ़ेहरिस्त में आप दिख नहीं रहे हैं और पोस्ट कर पा रहे हैं ये माइंड-ब्लोइंग चमत्कार कैसे कर डाला,क्या कविता और पौडकास्टिंग के अलावा समय ने ये सब भी सिखा दिया, भाई हमे भी सिखा दीजिये :)
जय जय भड़ास

अजय कुमार झा ने कहा…

mykul jee kavitaa achhee lagee, likhte rahein, swaagat hai.

बेनामी ने कहा…

मुकुल जी,
स्वागत है आपका,
अभिवादन का प्रत्युत्तर अभिवादन ही,
उपस्थिति जारी रखें.
जय जय भड़ास

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