तुम जो कहो..

बुधवार, 4 मार्च 2009

तुम जो कहो
उसे प्रकाशित कर दूँ
अपने सर्वस्व को
तुम पर न्योछावर कर दूँ
अपनी समस्त ऊर्जा को
विश्रित कर दूँ
तुम जो कहो
अपने स्पर्श से
तुझे उष्मित कर दूँ

तेरे दर्द को ओढ़कर
ख़ुद को
धन्य कर दूँ
तुम जो कहो
तुझ पर जीवन
अर्पण कर दूँ

तेरे चेहरे का गुलाल
और लाल कर दूँ
दमकते सूरज को
निहाल कर दूँ
तुम जो कहो
दिन हो या रात
धुप हो या छांव
तेरे कदमों में
सर रख दूँ
तुम जो कहो

2 टिप्पणियाँ:

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

तुम जो कहो तो इस मुल्क से बेकारी दूर कर दूं...
तुम जो कहो तो हर पेट में रोटी पहुंचा दूं...
तुम जो कहो तो हर बच्चे को शिक्षित करा दूं...
तुम जो कहो तो हर सिर के ऊपर छत बना दूं...
लेकिन तुम्हें पता है कि ऐसा मैं तो क्या इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नहीं कर सकते तो फिर तुम क्या बेवकूफ़ हो जो मुझसे ये सब करने को कहोगी :)
जय जय भड़ास

mark rai ने कहा…

aapka vichar pasand aaya. kass aisa kar pata.....duniya kitani khubsurat ho jati....

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