नारी दिवस पर विशेष...........?

रविवार, 8 मार्च 2009

औरत देवी है माँ है बहेन है बेटी है पत्नी है और भी न जाने क्या क्या रूप हैं लेकिन हमारे समाज में क्या ये सुरक्षित हैं हम क्यों नहीं इनको बराबरी का दर्जा देते हैं.? अत्याचार करते हैं, हवस का शिकार बनाते हैं, खरीद फरोक्त तक करतें हैं.? इनकी और कहने को ये हमारे धर्म में देवी का स्थान रखतीं है या यूँ कहें की एक माँ (औरत) के क़दमों के नीचे जन्नत है ये भी ईश्वरीय वाणी है फिर क्यों ये पैदा होते ही मार दी जाती हैं.? क्यों ये जलाई जाती हैं.? शिक्षा से महरूम रहती हैं.? क्यों इनको बराबरी का दर्जा देने के लिए हम आना कानी करते हैं.? इसके पीछे क्या है..? ऐसे बहोत से सवाल हजारों लाखों के दिलो में उठते होंगे लेकिन जवाब शायद किसी के पास नहीं या यूँ कहें की जवाब कभी खोजने की कोशिश ही नहीं की आखिर करते भी तो कैसे कई पीदियों से जिस परंपरा का निर्वहन हम करते आ रहे हैं उसमे इन सवालों के लिए ही गुंजाईश नहीं थी तो जवाब का सवाल ही नहीं पैदा होता लेकिन अब वक़्त के साथ इन्होने चलना सीख लिया है. अगर हम कुछ अपवाद छोड़ दें तो इतिहास गवाह है सैकडों सालों से जो परंपरा चली आ रही थी उसे खुद औरतों ने ही अपने बूते तोडा है लेकिन अब हम सभी को इनके अधिकारों की अनदेखी बंद करनी होगी और औरतों को समाज में अपने से बेहतर दर्जा देना होगा आखिर यही देवी है यही माँ है यही बहन है यही अर्धांग्नी है.और जन्नत का रास्ता इन्ही (माँ) के पैरों के नीचे है.
लिखना तो बहोत कुछ था लेकिन समय कम ही इस लिए यहीं बंद कर रहा हूँ इंशा अल्लाह बाद में मुकम्मल करूँगा.
आपका हमवतन भाई गुफरान........अवध पीपुल्स फोरम फैजाबाद

5 टिप्पणियाँ:

मुनव्वर सुल्ताना Munawwar Sultana منور سلطانہ ने कहा…

सुनने में सब अच्छा लगता है कि मेरे पैरों के नीचे जन्नत है इत्यादि लेकिन जन्नत शायद एक पुरानी कई बार रिपेयर हो चुकी चप्पल को ही कहते होंगे। बाप के पैरों के नीचे क्या होता है क्या किसी ने ये लिखा है? जितनी ये बकवास लिखी है पुरुष प्रधान समाज की सोच का नतीजा है वरना स्त्री को देवी या श्रीदेवी का दर्ज़ा देने की बजाए सिर्फ़ मानव बने रहने दिया जाता....
जय जय भड़ास

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

गुफ़रान भाई मुनव्वर आपा के अंदाज़ का बुरा मत मानियेगा उन्हें समाज में पुरूष के कुदरती प्राधान्य के कारण नाराज़गी रह्ती है क्योंकि वे मानती हैं कि शारीरिक बल ही है जिसने कुदरती तौर पर पुरुष को ताकतवर बना कर स्त्रियों को ऊंट,बकरी,बतख या मुर्गी से ज्यादा नहीं होने दिया है और ये पैरों मे जन्नत आदि महज पुरुषों द्वारा कुछ देर के लिये दिया लालीपाप होता है....
जय जय भड़ास

mark rai ने कहा…

jindagi itani aasan nahi hoti jitana log samajhate hai....think on this topic...

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

अरे भड़ासियों कम से कम अब तो लिंग पर आधारित वर्गीकरण से बाहर आ जाइये वरना मैं तो परेशानी में ही रहूंगी :)
भाई चंदन श्रीवास्तव ने जो करा है हम जैसे लोगों के लिए वे और उनकी पूरी टीम साधुवाद के पात्र हैं
जय जय भड़ास

गुफरान सिद्दीकी ने कहा…

रुपेश भाई मै आपा की बात का कभी बुरा नहीं मानता,जहाँ तक अपने विचार रखने की बात है तो कोई भी कुछ भी बोलने के लिए स्वतंत्र है और अगर हम बुरा मानने लगे तो बहस के लिए टोपिक कहाँ रह जायेगा.मनीषा दीदी आपकी बात से सहमत हूँ और आपसे माफ़ी भी चाहूँगा और आपको बताना चाहूँगा की मै और चन्दन भाई अलग नहीं हैं.आगे से आपकी बैटन का ध्यान रक्खूँगा.आप सभी के कमेन्ट का शुक्रिया.

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