अम्बरीश अग्निहोत्री : एक और सफ़ेदपोश बेनक़ाब हुआ भड़ास पर.....
शनिवार, 28 मार्च 2009
ये तस्वीर किसकी है पता नहीं क्योंकि हिंदुस्तान के सिरदर्द संजय सेन तो किसी की भी तस्वीर उठा कर फर्जी प्रोफ़ाइल बना लेने में माहिर हैं पता नहीं तस्वीर वाला बंदा जीवित भी हैं या नहीं? बेचारा संजय सेन तिलमिलाया बौखलाया और पगलाया सा गालियां दे रहा है लेकिन इतना साहस नहीं है कि सामने आकर गालियां दे सके उसके लिये चारित्रिक मजबूती और आत्मबल चाहिये जो कि इन खोखली हड्डी वाले सफ़ेदपोशों में है ही नहीं। मैं गालियां देता हूं लेकिन वो गालियां कड़वी दवा की तरह होती हैं जो इन जैसे लोगों के लिये हैं जिन्हें धूर्तता, लालच, पाखंड और दिखावे की गम्भीर बीमारी है।
संजय सेन गालियां दे रहा है लेकिन मुंह छिपा कर तो बस इस जड़बुद्धि को इतना बताना है कि दुष्ट बालक! तुम गालियां दे ही नहीं पा रहे हो क्योंकि हमें गालियां देकर तुम यशवंत को तेल लगाने का प्रयास मात्र कर रहे हो वो हमें क्या टट्टी खिलायेगा, हगने के लिये पेट में चारा होना चाहिए और उसकी खुद की फटी पड़ी है किराये के घर में रह कर कर्जे की कार लेकर वो तुम जैसे चूतियों को प्रभावित कर सकता है मैं तो उसकी हालत जानती हूं बेटा, मनीष राज और डा.रूपेश श्रीवास्तव से बेहतर भला यशवंत को कोई क्या जानेगा न वो और न ही मनीषराज कभी भी निजी बातों पर नहीं गए क्योंकि हमारा यशवंत से मात्र सैद्धांतिक विरोध है कोई शत्रुता नहीं है। हम हिजड़ो को वो क्या खिलाएगा बल्कि तुझे और उस जैसे आत्मा के षंढ़ों को धंधा करके बैठा कर खिला सकते हैं
ये रहा इन शराफ़त अली अम्बरीश अग्निहोत्री बने संजय सेन का प्रोफ़ाइल जिसमें साफ़ पता चलता है कि बेटा की नैतिकता और अक्ल का क्या स्तर है, अबे ढक्कन के.... हंसी आती है तेरी कुबुद्धि पर कम से कम ये बेचारा तस्वीर वाला बेचता क्या है झूठ ही सही लिख तो देता लेकिन तुम सोचते हो कि सबको उल्टे उस्तरे से मूड़ लोगे, इस बार तुम्हारा पाला एक भड़ासी डाक्टर से पड़ा है किसी हज्जाम से नहीं.... एक ऐसा डाक्टर जो शस्त्र और शास्त्र दोनो से बराबर सरोकार रखता है, आपरेशन ही नहीं पोस्टमार्टम भी कर सकता है। इस कीड़े का प्रोफ़ाइल इस लिंक पर देखिये---
http://www.blogger.com/profile/09362757254883435708
4 टिप्पणियाँ:
दीदी! ये ढक्कन है जो भड़ासियों के सामने गाली देकर बड़ा बनने की कोशिश कर रहा है इसे पता नहीं है कि हम सब कितने "बड़े वाले" हैं। गालियां हमारे लिये स्वस्तिवाचन जैसा है...हा...हा...हा...
संजय सेन बेचारा क्या करे खुद मुखौटाधारी है और उसे बाप भी वैसा ही मिला है यशवंत...लेकिन ये चूतिया भड़ासियों से उलझ कर क्या नाम कमाना चाहता है सुझाव अच्छा है कि इन हरामियों की वेबसाइट्स और ब्लाग की सचित्र लिंक भड़ास पर लगा कर रखी जाए और इनके हरामीपन पर वोटिंग करायी जाए पोल लगा कर...कैसा विचार है रजनीश भाई?
जय जय भड़ास
accha hai
ऐसे सारे लोगों को भड़ास पर नंगा करा जाना ही हमारा मुहिम है क्योंकि इन लोगों ने शराफत के मुखौटे लगा कर बहुत नाम कमा लिया है अब जरा सबको इनकी हकीकत तो पता चले कि
वो कत्ल भी कर दें तो बस एक अदा है उनकी
हम उफ़ भी करें तो बदनाम हो जाते हैं
गालियां देना या न देना कैसे बताता है कि जो गाली नहीं दे रहा वह भला आदमी है?
कस कर लिखा है दीदी बड़े दिनो बाद आपने.... मजा आ गया
जय जय भड़ास
दीदी,
ब्लॉग जगत के कुछ गलीज कीडे में से एक है ये सागर. क्या यशवंत और क्या सागर. कई नाम से क्षद्म ब्लॉग बना कर ब्लॉग जगत के वायरस बने हुए हैं ये कपटी प्राणी लोग.
जय जय भड़ास
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