जेड गुडियां भारत में भी होती हैं पर हम उनके बारे में चूं तक नहीं करते.......

सोमवार, 23 मार्च 2009

दो चार दिन पहले जेड गुडी ने शरीर छोड़ दिया और भारतीय पत्रकारिता ने आंसू बहा कर अखबार काले करने शुरू कर दिये। उसे ऐसा चित्रित करने लगे जैसे कि वो मदर टेरेसा जैसी कोई बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्त्री रही हो। भारत में भी गर्भाशय और उससे संबद्ध अंग प्रत्यंगों से होने वाले कैंसर से न जाने कितनी महिलाएं काल के गाल में समा जाती हैं लेकिन हमारी पत्रकारिता को सिर्फ़ जेड गुडी की मौत पर ही रोना आता है क्योंकि भारतीय ग्रामीण स्त्रियों का मरना भी कोई मरना होता है..... , जेड गुडी की मौत के बारे में मैने एक जगह पढ़ा था(ईश्वर ही जाने कि कितना सत्य होगा) कि उस महिला ने अपनी व्यवसायिक बुद्धि का प्रयोग कर ठसबुद्धि मीडिया को और अधिक मूर्ख बनाया और अपनी मौत के कवरेज के अधिकार किसी मीडिया कंपनी को बेच दिए थे जैसे कि हमारे स्वनाम धन्य सकुटुंब अभिनेता बच्चन परिवार ने अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय की शादी के कवरेज के अधिकार बेचे थे। जेड गुडी जैसे लोगों के बारे में मुझे कोई अफ़सोस नहीं है वह एक सफ़ल व्यवसायी थी जिसने कि हमें सिखाया कि अब जब हम या हमारे परिवार का कोई मरने वाला हो तो उसकी आखिरी हिचकी के कवरेज को भी मीडिया के लिये एक बिकाऊ आइटम के रूप में प्रस्तुत करके पैसा बनाया जा सकता है।
वैसे एक बात कहना चाहूंगा कि पश्चिमी देशों में होने वाले सर्वाइकल कैंसर का सबसे बड़ा कारण उनका पशुओं की तरह स्वच्छंद यौनाचरण(या जानवरों से भी बदतर), भारतीय महिलाएं इस कारण से न्यूनतम ग्रस्त होती हैं और उसका कारण है हमारे सामाजिक संस्कार जो कि हमें आचरण की मर्यादा में रखते हैं। मीडिया के उल्लुओं के लिए एक बात नाथ संप्रदाय के साधुओं के अंदाज में.....
"मरौ हे जोगी मरौ मरन है मीठा।
मरौ तिस विध मरौ जिस विध ’जेड गुडी’ मर दीठा ॥"

4 टिप्पणियाँ:

Anil Kumar ने कहा…

गरीब आदमी मरे तो कुछ नहीं, बडी हस्ती मरे तो बडी खबर. बडी हस्ती में भी फिरंग महिला हो तो क्या कहने, अखबार तो बिकेगा ही बिकेगा - बस कुछ आधे-अधूरे कपडों के साथ फोटो छापने की देर है.

मात्र सत्ताईस साल में सर्वाइकल कैंसर कराने के लिये क्या-क्या पापड बेले होंगे गुडी ने, ये तो राम ही जाने. सहानुभूति होती है, लेकिन मौत के लिये नहीं - उन दुष्कर्मों के लिये जो उसे मौत तक ले गये.

और सच बोलूं तो किसे पडी है जेड गुडी या शिल्पा शेट्टी - सबको पैसे बनाने की पडी है. मरने के बाद सवर्ग (या नर्क) में ये सब पैसे अपने साथ बांधकर जो ले जाने हैं.

भगवान करे गुडी को अगले जन्म में गुड ही बनाये, और उसे सच्चाई और मोक्ष के रास्ते अग्रसर करे.

गुफरान सिद्दीकी ने कहा…

क्या बात कह दी आपने डॉक्टर साहब अब मीडिया समाज को आईना दिखाने वाली नहीं अपितु धंधा करने वाली हो चुकी है देखा नहीं आपने पत्रकारिता का व्यवसायीकरण कितनी तेजी से होता जा रहा है......और अपने देश में इन मीडिया वालों को मिलता क्या है सिर्फ मसाला भूत प्रेत फ़िल्मी दुनिया और अब विभिन्न चैनलों पर चलने वाले धारावाहिकों के कुछ अंश लेकर वन्ही से गिल्ली डंडा केलते रहे हैं............,अब हम इनसे और क्या उम्मीद कर सकते हैं....,

आपका हमवतन भाई.......गुफरान....www.awadhvasi.blogspot.com

दीनबन्धु ने कहा…

@अनिल भाई सर्वाइकल कैंसर जिनकी मेहनत के कारण हुआ होगा राम मे अलावा उन्हें भी पता होगा...
मीडिया वालों को क्या कोसना वो तो सब यशवंत सिंह जैसी लालची बनिया छाप सोच के लोग होते हैं जो पैसे के लिये उस कार्यक्रम को भी दिखा सकते हैं जिससे ये बीमारी हुई होगी, उन्हें सिर्फ़ पैसा चाहिये....
हमारे देश में भी बहुत से स्वनाम धन्य ऐसे मीडिया पर्सन हैं जो कि पोर्नोग्राफ़ी को लीगल कराने के लिये एड़ीचोटी का जोर लगा रहे हैं जब ये सब लीगल हो जाएगा तब आप इसे प्राइम टाइम में देख सकेंगे अपने परिवार के साथ बैठ कर....:(
जय जय भड़ास

dr amit jain ने कहा…

डॉ साहब एक पोस्ट किर्पया इस रोग के उपर परकाश डालते हुए
इस की सस्ती और सुलभ चिकित्सा पर भी करे ,
आप की पोस्ट से यदि कोई बहन या माँ लाभान्वित हुई
तो शायद आप की और सभी भडासी परिवार की ब्लोगिंग सफल हो जायेगी

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