तात्कालिक फायदा और दांव पर लगता भविष्य : खतरे की घंटी

शनिवार, 21 मार्च 2009

लगभग सारे देश मे एक बात बड़े ही धड़ल्ले से चल रही है
और हम सब उस से अनजान है ,
क्योकि हमे उस से क्षणिक फायदा मिलता है ,
क्या आप जानते है वो हम सब के लिए आत्मघाती है ,
यदि हम सभी ने उस के खिलाफ अभी से आवाज न उठाई तो ,
हमारा पारस्परिक तन्त्र इस से विनाश के कगार पर आ जायगा
और उस के जिमेदार भी हम होगे ,
हा आप बिल्कुल सही परेशां हो रहे है ,
बात ये है दोस्तों जितनी भी बड़ी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है
वो सभी सिर्फ़ और सिर्फ़ मॉल संस्क्रति को बढ़ावा दे रही है ,
और इस काम के लिए वो अपने सभी प्रोडक्ट्स पर स्कीम बना कर सिर्फ़ माल मे दे रही है , ये स्कीम्स आप को अपने लोकल मार्केट मे शायद ही मिल पाए , क्यो की ये स्कीम्स लोकल मार्केट मे नही दी जाती , अब आप सोच रहे होगे बाही इस मे हमारा क्या नुकसान है ये तो अच्छा ही है , अरे भाई अगर इस प्रकार से ही चलता रहा तो आप जो अपना लोकल मार्केट देख रहे है वो धीरे-धीरे ख़तम होता जायगा , साथ ही ख़तम होती जायेगी उस मे रोजगार करने वाले लोगो की जिन्दिगियां जो उस पर ही निर्भर करती है , और कुछ सालो के बाद हम सभी लोग सिर्फ़ १ किलो आलू लेन के लिए अपने घर से १५ किलोमीटर दूर किसी माल मे जायगे और उन के मनमाफिक रेट्स पर खरीदेगे , सोचो ये गैर कानूनी नही है , क्या ये उपभोक्ता के साथ धोखा नही है , क्या इस धोखाधड़ी को हम सभी को विरोध मे नही लाना चाहिये , क्या अपने तात्कालिक फायदे के लिए हमे अपने भविष्य को कुछ पूजीपति को बेच देना चाहिए , आज मेरे सिर्फ़ इतनी ही भड़ास। भड़ास पर कल फ़िर कुछ और उगलने की तैयारी के साथ आप के साथ मिलूंगा।

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