जनता आपसे नेता जी इतना चाहती है

मंगलवार, 7 अप्रैल 2009

वरुण की करुण दशा पर एक तरुण यह कहता है

आखिर आजकल के युवाओं में इतना आक्रोश क्यों रहता है

कि क्या वे जानते नहीं, जो वे बोलते हैं

जब वे अपनी जुबां को यूं सरे आम खोलते हैं

वरुण की ही नहीं केवल, सभी की ये कहानी है

असल में ये तो पूरी ही सियासत की जुबानी है

तरीके हैं, जुदा लेकिन सभी तो बोलते हैं

बिना सोचे और समझे ये नेता मुंह खोलते हैं

कभी हिंदू कभी मुस्लिम, सिखों को घेरते हैं

जहां चमड़ी दिखे चिकनी हथेली फेरते हैं

चुनावों में किसी के जज्बातों से खेलते हैं

दमदार गुरुओं के अखाड़ों में ये दंड पेलते हैं

इन्हें दिखते हैं मंदिर और मस्जिद बस चुनावों में

क्योंकि सत्ता इन्हें दिखती है, तब रातों को बस ख्वाबों में

लगी सत्ता हाथ में जो पल में मुंह फेरते हैं

ये समझें कि हमें आखिर भला क्या चाहिए

सियासत को भले कामों में लेकर आइए

बुझाइए प्यास लोगों की अंधेरा दूर करिए

यूं नफरत के जहर को हममें न भरिए

गरीबी, बेरोजागरी को, हटाओ देश से

काम चल पाएगा न, व्यर्थ के आवेश से

करिए खात्मा आतंक का जहान से

मांगिए मुल्क की खुशहाली भगवान से

जनता आपसे नेता जी इतना चाहती है

जनता आपसे नेता जी इतना चाहती है


शिवेश श्रीवास्तव


2 टिप्पणियाँ:

आदर्श ने कहा…

जूता एक सटीक हथियार है
http://pyala.tk/

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

भाई स्वागत है शुरुआत तो बड़ी ही धांसू है एकदम पैट्रोल है हर शब्द में अंगार है पेलो पेलो और रगेदो ....
जय जय भड़ास

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