चुनाव, नक्सली और हिंसा !!!
बुधवार, 15 अप्रैल 2009
चुनाव सर पर हैं तो नक्सली क्यूँ पीछे रहें, आज सुबह सुबह बिहार के रोहतास जिले में सीमा सुरक्षा बल के कैंप पर बड़ा नक्सली हमला हुआ है। दोनों पक्षों के बीच भीषण गोलीबारी जारी तड़के एक बजे हुए इस हमले में आधुनिक हथियारों के साथ भीषण गोलीबारी हुई है और तीन रॉकेट दागे गए हैं।
दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी अब भी जारी है और हेलिकॉप्टरों के ज़रिए सुरक्षाकर्मियों को घटनास्थल पर पहुँचाया जा रहा है। घटनास्थल रोहतास ज़िले में ज़िला मुख्यालय सासाराम शहर से 60 किलोमीटर दूल स्थित धमसा पहाड़ी इलाक़ा है। सासाराम और कैमूर लोकसभा चुनाव क्षेत्रों में गुरुवार को मतदान होना है।
लगभग सौ से 150 नक्सलवादियों ने इस शिविर पर धावा बोला है। शिविर में लगभग 70 सुरक्षाकर्मी और अधिकारी मौजूद हैं और उन्होंने रॉकेट दागे जाने और गोलीबारी का जवाब दिया है। तीन रॉकेट दागे गए हैं जिनमें से दो बेकार हो गए और बीएसएफ़ शिविर की दीवार पर लगा। इस इलाक़े में नक्सलवादियों के दबदबे के कारण पिछले चुनावों में लोग मतदान करने नहीं आते थे इसलिए धमसा पहाड़ी इलाक़े के एक स्कूल में सीमा सुरक्षा बल का शिविर बनाया गया था।
लगभग सौ से 150 नक्सलवादियों ने इस शिविर पर धावा बोला है। शिविर में लगभग 70 सुरक्षाकर्मी और अधिकारी मौजूद हैं और उन्होंने रॉकेट दागे जाने और गोलीबारी का जवाब दिया है। तीन रॉकेट दागे गए हैं जिनमें से दो बेकार हो गए और बीएसएफ़ शिविर की दीवार पर लगा।
इस क्षेत्र में कैमूर पहाड़ी श्रृंखला में नक्सलवादी सक्रिय हैं और नक्लवादियों ने पूरे इलाक़े में आम चुनाव के बहिष्कार का आहवान कर रखा है। पुलिस का मानना है कि ये ताज़ा हमला सुनियोजित ढंग से योजना बनाकर किया गया है।
चुनाव आते ही नक्सल की वारदात बढ़ जाती है और आम आदमी का जीवन असुरक्षित हो जाता है । इस तरह नक्सलियों का क्षेत्रवार कब्जा जहाँ प्रशासन और सरकार नाम की चीज नहीं क्या लोकतंत्र के लिए धब्बा नहीं है ?
भड़ास का यक्षप्रश्न जारी है .....
1 टिप्पणियाँ:
भाई यकीन मानिये कि ये समीकरणों को बदलने के लिये इस्तेमाल करी जाने वाली एक कारपोरेट उपलब्धि की तरह हो चली बात है जो कि आउटसोर्सिंग की तर्ज़ पर प्रयोग होती है...
जय जय भड़ास
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