नशा ....
शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009
अगर तूफ़ान में जिद है ... वह रुकेगा नही तो मुझे भी रोकने का नशा चढा है ।
देख लेगे तुम्हारी जिद या मेरा नशा ... किसमे कितना दम है ।
तुम्हारी जिद से मेरा सितारा डूबने वाला नही । हम दमकते साए है ।
असर तो जरुर छोड़ेगे ।
1 टिप्पणियाँ:
मार्कण्डेय भाई कस कर चढ़ा है अब तो अपनी मंजिल पाकर ही मानेगा ये नशा...
जय जय भड़ास
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