नाज
गुरुवार, 23 अप्रैल 2009
हर ध्ड्रकन में एक राज्र होता है
हर बात को बताने का एक अंदाज्र होता है
जब तक ठोकर न लगे बेवफाई की
हर किसी को अपने प्यार पे नाज्र होता है.........
नाज हमे भी है उन की बेवफा बातो पर
या कहिये उन की इन्ही अदाओ पर
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© भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८
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2 टिप्पणियाँ:
हर धड़कन में एक राज़ होता है...
पर क्या हर भूखे के पेट में अनाज होता है?
क्या मसालेदार तुकबंदी पेली है साला अपुन भी कवि-बिवि बन गएले लग रएला है:)
जय जय भड़ास
wah dr sahab
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