नाज

गुरुवार, 23 अप्रैल 2009

हर ध्‍ड्रकन में एक राज्र होता है
हर बात को बताने का एक अंदाज्र होता है
जब तक ठोकर न लगे बेवफाई की
हर किसी को अपने प्यार पे नाज्र होता है.........
नाज हमे भी है उन की बेवफा बातो पर
या कहिये उन की इन्ही अदाओ पर

2 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

हर धड़कन में एक राज़ होता है...
पर क्या हर भूखे के पेट में अनाज होता है?
क्या मसालेदार तुकबंदी पेली है साला अपुन भी कवि-बिवि बन गएले लग रएला है:)
जय जय भड़ास

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