हम हिजड़ों की तो सुनो (अतीत के पन्ने से.......)
गुरुवार, 30 अप्रैल 2009
आप सब लोगों को मेरा प्रणाम ,मेरा नाम मनीषा है और मैं डॉक्टर रूपेश की दोस्त हूं । लोग हमें हिजड़ा कहते हैं लेकिन डॉक्टर भाई कहते हैं कि हम लैंगिक विकलांग हैं । उन्होंने बताया कि आपके ब्लाग पर आदमी - औरत की बात लेकर बहस हो रही है अगर डॉक्टर रूपेश भाई की अरह हम लोग भी आप सब भड़ासियों की नजर में इंसान हैं तो जरा हिम्मत करके हमारी चर्चा करिए । डॉक्टर भाई ने हम लोग को कम्प्यूटर सिखाया ,हिन्दी लिखना और टाइप करना सिखाया और मदद किया कि ब्लाग क्या होता है ये बताया अभी आप लोग से रिक्वेस्ट है कि हमारी बात को भड़ास के द्वारा लोगों तक पहुंचाइये । हमारा ब्लाग हैadhasach.blogspot.com
हम चार पांच लोग जैसे सोना ,भूमिका ,शबनम मौसी ,डॉक्टर भाई मिल कर लिखेंगे आज पहली बार हिजड़ों की समस्याओं के बारे में जैसे हमें डाईविंग लाईसेंस से लेकर राशन कार्ड तक नहीं मिल पाता आसानी से क्योंकि हम न तो स्त्री हैं न पुरूष और आप लोग हैं कि फालतू बातों पर बहस कर रहे हैं ।यशवंत भाई को आशीर्वादजै भड़ास
1 टिप्पणियाँ:
इस पोस्ट से संबंधों की जो यात्रा शुरू हुई वो सारी दुनिया इस वैश्विक मंच के माध्यम से जानती है और इसी भड़ास यात्रा में कुछेक के भलमनसाहत के मुखौटे भी उतर गये जैसे कि शबनम मौसी जिसने कि लैंगिक विकलांगों की भावनाओं का खूब दोहन करा और अब नेतागिरी कर रही है,बहन वंदना भदौरिया ने इस पाखंडी चेहरे से कस कर मुखौटा नोचा था दूसरा पाखंडी यशवंत सिंह रहा जिसका मुखौटा भड़ासी का था लेकिन असल चेहरा एक लालची बनिये का निकला।
जय जय भड़ास
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