पृथ्वी दिवस का मजाक ...

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

२२ अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया गया हर साल इसी दिन को मनाया जाता है पृथ्वी को बचाने की तरकीब बनाई जाती है लोगो में जागरूकता फैलाई जाती है कई कार्यक्रम होते है बंद कमरों में पृथ्वी की स्थिति पर चर्चा होती है सेमिनारों में जानकार लोग जीवन को बचाने सम्बंधित बड़ी बड़ी बातें करते है ये बातें २३ अप्रैल को भुला दी जाती है और फ़िर अगले २२ अप्रैल का इन्तजार शुरू हो जाता है
पृथ्वी दिवस भी होली , दिवाली ,दशहरा जैसे त्योहारों की तरह खुशी का दिन और खाने पिने का दिन मान कर मनाया जाने लगा है इसके उद्देश्य को लोग केवल उसी दिन याद रखते है बल्कि मै तो कहुगा की घडियाली आंसू बहाते है हमें इस बात का अंदाजा नही है की कितना बड़ा संकट आने वाला है और जब पानी सर से ऊपर चला जायेगा तो चाहकर भी कुछ नही कर सकते , अतः बुद्धिमानी इसी में है की अभी चेत जाए
वैश्विक अतर पर पर्यावरण को बचाने की मुहीम १९७२ के स्टाकहोम सम्मलेन से होती है इसी सम्मलेन में पृथ्वी की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई और हरेक साल जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने पर सहमती व्यक्त की गई १९८६ के मोंट्रियल सम्मलेन में ग्रीन हाउस गैसों पर चर्चा की गई १९९२ में ब्राजील के रियो दे जेनेरियो में पहला पृथ्वी सम्मलेन हुआ जिसमे एजेंडा २१ द्वारा कुछ प्रयास किए गए इसी सम्मलेन के प्रयास से १९९७ में क्योटो प्रोटोकाल को लागू करने की बात कही गई इसमे कहा गया की २०१२ तक १९९० में ग्रीन हाउस गैसों का जो स्तर था , उस स्तर पर लाया जायेगा अमेरिका की बेरुखी के कारण यह प्रोटोकाल कभी सफल नही हो पाया रूस के हस्ताक्षर के बाद २००५ में जाकर लागू हुआ है अमेरिका अभी भी इसपर हस्ताक्षर नही किया है यह रवैया विश्व के सबसे बड़े देश का है , जो अपने आपको सबसे जिम्मेदार और लोकतांत्रिक देश बतलाता है वह कुल ग्रीन हाउस गैस का २५%अकेले उत्पन्न करता है
अगर ऐसा ही रवैया बड़े देशो का रहा तो पृथ्वी को कोई नही बचा सकता जिस औद्योगिक विकास के नाम पर पृथ्वी को लगातार लुटा जा रहा है , वे सब उस दिन बेकार हो जायेगे जब प्रकृति बदला लेना आरम्भ करेगी

1 टिप्पणियाँ:

मनोज द्विवेदी ने कहा…

MARK BHAI..APKE LEKHO SE BAHUT SARI JANKARIYAN MILTI HAIN..LIKHIYE AUR APNA GYAN HUME BHI BATATE RAHIYE
JAI BHADAS JAI JAI BHADAS

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