हरामजादों का गुम हुआ सरदार. (अतीत के पन्ने से......)
रविवार, 10 मई 2009
इनसे मिलये, पक्के चूतिये हैं, हरामजादों के सरदार भी, कमीनेपन की हद देखा जाए तो अद्भुत लगेगा, दुनियाभर के शरीफ लोगो हमें शराफत की गाली दे रहे हैं, जिस शराफत की नाम से ही हमें उल्टियां आने लगती है, ये महाराज पता नही कौन से चूतियम सल्फेट बनाने में लिप्त हैं,
हे महाराजधिराज चूतिये भडासी के कमीने डॉ धन्वन्तरी, हमारे थुथने में शराफत पेलने की सफेदपोशों की कोशिश और तुम गुम हो, क्या चक्कर है ये, जीवित हो या पहुँच गए ऊपर भडास का नया अड्डा जमाने। चुतियापा की सबसे ज्यादा जरुरत ऊपर ही है सो चले गए हो तो सूचित करो हम भी लाव लश्कर लेकर आ जाएँ भड़ास भड़ास करने।
हे भड़ास माता (मुनव्वर आपा) आपके नौनिहाल के साथ इतनी नाइंसाफी शालीनता, शराफत,और शरीफ बनने की गालियों से नवाजा जा रहा है जो हम गलीज के कीडों को उबकाई ला रहा है, हमारे डॉ को भेजो की कमीनगी का चूतियम सल्फेट जडी हमें सब भडासियों को पेल दें नही तो सभ्य सभ्य करवाते करवाते सफेदपोशों का हुजूम हमारी जान ले लेंगे, मनीषा दीदी कहाँ गुम हो जल्दी से बुलाओ चूतिये रुपेश को।
जिन जिन को शक है की भडासी शरीफ हैं, सभ्य हैं, उन सबकी आंखों में डालने वाली दवा मंगवानी है। हमारी छवि को गंदी करने की साजिश का भांडा फोरना है क्यौंकी हम गंदे नही गलीज के कीडे हैं वीरू लोगों।
चलो अब भड़ास भड़ास।
जय जय भड़ास।
1 टिप्पणियाँ:
ॐ फ़ट स्वाहा...
फिर प्रकट हो गया...
पुरानी पोस्ट्स कुछ लोगों के गले से शायद नीचे न उतर रही हों तो उनसे निवेदन है कि इसी पन्ने पर उगल दें...
जय जय भड़ास
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