शमा दीदी देश आजाद हो गया लेकिन राष्ट्र न बन पाया।

रविवार, 3 मई 2009

"प्रोटेस्ट वोट" क्या होता है? जैसे कि चार लोग उम्मीदवार हैं पहला डाकू दूसरा रेपिस्ट तीसरा हत्यारा चौथा माफ़िया; अब मैं इनमें से विरोध करने के लिये वोट का सही प्रयोग कैसे कर सकता हूं। आपने पार्टी की बात कही तो क्या आज के दौर में किसी पार्टी की कोई नैतिकता है? शरद पवार कांग्रेस से असहमति जता कर नई पार्टी बनाते हैं लेकिन सत्तासुख लेने के लिये कांग्रेस के साथ आ खड़े होते हैं,मायावती जी बनारस में मुख्तार अंसारी जैसे खतरनाक आदमी के लिये वोट मांग रही हैं, मुलायम और अमर सिंह का हाल दुनिया जानती है, भा.ज.पा.और शिवसेना किस्म की पार्टियों से आप पंथनिरपेक्षता की उम्मीद ही न करें जो कि सिर्फ़ हिंदुत्त्व की ही तुरही फूंकती रहती हैं,कम्युनिस्ट क्या चाहते हैं ये शायद वे आज तक खुद न समझ पाए........
एक हजार से ऊपर राजनैतिक पार्टियां हैं... किस पार्टी का क्या मैनिफ़ेस्टो है क्या विचारधारा है और जब सभी का एजेंडा राष्ट्र का सर्वांगीण विकास है तो फिर ये एकजुट क्यों नहीं हैं? कारण जहां तक मुझे पता है कि ये सिर्फ़ लापरवाह और मूर्ख जनता को दिखावे के लिये अलग हैं ऊपर सभी तो मिले हैं वरना आज तक किसी राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के किसी नेता को किसी आपराधिक मामले में सजा क्यों नहीं हुई क्या ये सब एकदम पाक़दामन हैं? तेरी भी चुप मेरी भी चुप का रवैया है। रही बात जनता की तो उसे इस बात की अफ़ीम दे रखी है कि जनता सरकार बनाती है, वो जनता जो क्रिकेट मैच या मुर्गों की लड़ाई और लोकसभा चुनाव को एक ही अंदाज में लेती हैं मैं इस बात पर अटल हूं कि भारत की अधिकांश जनता अभी भी सामंतवादी सोच के अंतर्गत ही जी रही है यहां के लोग लोकतंत्र के अनुकूल नहीं है। साथ ही ये भी सत्य है कि इस अनुकूलन के लिये सही प्रयास करे ही नहीं गये क्योंकि आपसे अपेक्षा करी जाती है कि आप कानून का पालन करें लेकिन आपको ग्रेजुएट होने तक कानून सूंघने नहीं दिया जाता और तुर्रा ये कि कानून न जानना कोई माफ़ी की बात नहीं है, वैसे ही लोकतंत्र की मूल आत्मा का परिचय खेतिहर किसान,दस्तकार और मजदूरों से आज तक हुआ कहां है ये बेचारे तो आजादी के बाद से आज तक अपने छोटे-छोटे निजी हितों की पूर्ति कराने वाले को ही नेता माने बैठे हैं देश आजाद हो गया लेकिन राष्ट्र न बन पाया।
जय जय भड़ास

1 टिप्पणियाँ:

shama ने कहा…

"Protest " sirf darj karna hota hai...voting nahee...agar khade rahe saare chor, khoonee hain, to aap apne "protest comment" me darj karen.ki koyibhi "vote" dene layaq nahee...! Hame hamaree aazaadee/desh bachana hai, to itna kasht 5 saalme ekbaar lenaahee hoga...

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