खास है बाल पत्रिका "आईना"

बुधवार, 13 मई 2009

बच्चों के कलम से निकलनेवाली बाल पत्रिका आईना का दूसरा अंक बाज़ार में आ गया है।इस पत्रिका की खास बात यही है की यह पत्रिका विशुद्ध रूप से बाल पत्रिका है जिसमें बच्चे अपनी बातों , विचारों को बेवाक होकर लिखते हैं .यहाँ तक की ये लोग किसी खास लोगों का इंटरव्यू तक लेते हैं.इस अंक में भोजपुर के पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार का इंटरव्यू लिए हैं। कहानियाँ,कवितायें ,लोककथाएं, अंधविश्वास के खिलाफ खुलकर अपनी बातें रखना ही आईना को और बाल पत्रिकाओं से अलग रखता है. बच्चे इस पत्रिका में ख़ुद को हवा की तरह स्वतंत्र महसूस करते है.ऐसा लगता है जैसे उन्हें अपना संसार मिल गया है जहाँ वो अपनी भावनाओं को अभिव्क्त करने में ज़रा भी झिझक नहीं होता। बाज़ार में लाने की कोशिश तो हुईहै देखना है की बच्चों की बातें बड़ों पर कितना प्रभावी होती है। आईना से कोई भी बच्चा जुड़ सकता है ,बस उन्हें अपनी बातें कार्टून,पेंटिंग,कहानी,न्यूज़,कविता आदि के रूप में लिख भेजना है.
यह आईना बिहार के छोटे शहर आरा से यवनिका संस्था के सहयोग से निकलती है जिसके 12000 सालाना ग्राहक हैं.इस पत्रिका का मकसद बच्चों को जागरूक बनाना साथ-ही-साथ समाज के हर आयामों से वाकिफ कराना भी है .आईनाके संपादक स्वयम्बरा है जिसे बच्चे दीदी कहते हैं .

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