आपके बेटे की शादी मेरे बेटे से कर दीजिये

बुधवार, 13 मई 2009

कई दिन से दिमाग भन्ना रहा है कि ये अशोकराव कवि और उसके जैसे उल्टी साइकल किस्म के लोग इस बात के पीछे क्यों पड़े हुए हैं कि भारत में समलैंगिक संबंधों को कानूनी दर्जा दे दिया जाए? इन केंचुओं ने एक पत्रिका भी शुरू करी है और उसमें सुपर-डुपर फ्लाप अभिनेत्री सेलिना जेटली ने बाकायदा अधनंगे होकर मैगजीन का विमोचन करा क्योंकि सेलिना जानती है इन लोगों से कोई खतरा नहीं है ये सब उल्टी साइकल हैं लेकिन प्रसिद्धि के लिये अब फिल्में तो हैं नहीं तो यही सब कुलच्छपन करके लोगों की नजर में आने का ये टोटका इस बाई ने आजमाया। किसी संगठन ने इस बाई के विरोध में चूं तक नहीं करा, मुझे निजी तौर पर लगता है कि ये मुंबई के नेता इन सबकी सेवाएं लेते हैं इसी कारण कुछ नहीं बोलते। इन लोगों ने बाकायदा कोर्ट में रिट दायर कर रखी है कि इस बात को कानूनी सहमति मिले जैसे कि कई देशों में मिली है। इसके बाद इनकी अगली रिट पिटीशन होगी कि ये लोग मेनका गांधी की तरह पशु-पक्षियों से भी बहुत प्रेम करते हैं इसलिये........ सोच लीजिये कि क्या होगा कि आपकी बेटी किसी गधे,कुत्ते या घोड़े से शादी करना चाहे या फिर आपका बेटा किसी कुतिया,भेड़ या बकरी से शादी करना चाहे। जिन माता-पिता और पुरोहित ने इन दो पुरुषों की शादी कराई है उनकी समाज के प्रति क्या धारणा है ये जानना जरूरी है। आश्चर्य तो इस बात का है कि कोई राजनेता या धार्मिक संगठन इनका विरोध नहीं करता जबकि जरा-जरा सी बातों पर ये कमीने पेट्रोल मूतना शुरू कर देते हैं। अगर यही हाल रहा तो भविष्य कुछ ऐसा ही होगा कि मैं आपके पास आउंगा कि चलिये हमारे बेटे शादी करना चाहते हैं हम उन्हें आशीर्वाद दें और छुतहे पंडित को पैसा देकर कुछ मंत्र भी पढ़वा लें ताकि ये कमीनापन धार्मिकतापूर्ण लगे।

अभिनय शून्य बाई को फिल्में तो मिलती नहीं बेहतर है कि ये धंधें ही करे जाएं ताकि कुछ लोग पहचानते रहें

उल्टी साइकलों के बीच बाई सेलिना जेटली
धन्य हैं ये माता-पिता
जय जय भड़ास

1 टिप्पणियाँ:

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

भाई आपने जितना लिखा बहुत कम है इनकी पहुंच और पकड़ बड़े-बड़े नेताओं तक है आप कारण बखूबी जानते हैं कि किस बजह से... सेलिना जेटली जैसी तमाम हैं जो सिर्फ़ फिल्मी पार्टियों में शोभा बढ़ाने के काम आती हैं उन्हें कोई करोड़ों रुपए खर्च करके फिल्म में क्यों लेगा वो तो स्व.फ़िरोज़ खान जी थे जिन्होंने पता नही क्या देख कर इसे अपनी फिल्म जांनशीन में हीरोइन साइन कर लिया था वरना इस तरह की तो न जाने कितनी मुंबई में पड़ी हैं। अशोक राव कवि का हमसफ़र ट्रस्ट पूरी तरह विदेशों से वित्तपोषित है ये एड्स वाली लाबी में भी गोटियां सेट करे हुए हैं। भड़ास का कर्त्तव्य है कि इन जैसे लोगों को इनके अंजाम तक पहुंचाए
जय जय भड़ास

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